top of page

पश्चाताप

रमाकांत द्विवेदी

राजीव अपनी कंपनी के किसी काम से अपनी ससुराल के नजदीकी शहर में गया था। काम खत्म होने के बाद जब वह वापस अपने गंतव्य की तरफ चला तो रास्ते में उसका ससुराल पड़ गया। वह अपनी ससुराल जाना तो नहीं चाहता था परंतु, घर के बाहर ही उसे उसका साला अजय घूमता हुआ मिल गया। वह उसका हाथ पकड़ कर घर के अंदर ले गया। घर में उस वक्त अजय की 3 साल की लड़की पूजा सो रही थी। सोते हुए ही वह नींद में बडबडाते हुए बोली "प्रिंस भैया मेरी गुड़िया दो ना" पूजा को नींद में बोलते हुए देखकर राजीव आश्चर्य से उसकी तरफ देखने लगा। अजय मुस्कुराते हुए बोला, “इसे भी अपनी बुआ राधिका की तरह नींद में बोलने की आदत है। राधिका भी नींद में कई बार ऐसे ही बोलती है।” कई बार दिन में हुई घटनाएं मन मस्तिष्क पर अंकित हो जाती हैं। फिर बच्चे उसे नींद में दोहराने लगते हैं। आज दिन में इसके बड़े भाई प्रिंस ने इसकी गुड़िया छीन ली थी। अब वह उसी बात को दोहरा रही है।"
अजय की बातें सुनकर वह कुछ सोच में डूब गया था। कुछ सोचने के बाद वह अजय से बोला, "मैं चलता हूं, घर में सब लोग मेरा इंतजार कर रहे होंगे।" "अरे ऐसे कैसे नन्दोई जी मैंने आपके लिए नाश्ता लगा दिया है, आप नाश्ता करके ही जाना।" उसकी सलहज आरती ने मुस्कुराते हुए कहा। तो जल्दी से एक समोसा खाकर वह उनसे विदा लेते हुए बोला, "बस आज इतना ही फिर किसी दिन तसल्ली में आकर खाना खाऊंगा। अब मुझे आज्ञा दे।" तब अजय ने उसे दक्षिणा देकर विदा कर दिया।
अपने घर लौटते वक्त वह कुछ बातों को याद करके बेहद पश्चाताप कर रहा था। कुछ समय पहले ही उसकी शादी बेहद खूबसूरत, संस्कारी और घर के समस्त कार्यों में निपुण राधिका से हुई थी। जिसने अपनी सेवा भावना के द्वारा कुछ ही समय में उसका और अपने सास-ससुर सबका दिल जीत लिया था। जिससे राजीव का जीवन खुशहाल हो गया था। खुशी-खुशी उसकी जिंदगी का समय बीत रहा था कि अचानक एक घटना ने उसके जीवन में खलबली मचा दी। एक बार घर का सारा काम खत्म करने के बाद राधिका जब रात्रि को गहरी नींद में सो रही थी। तब अचानक वह नींद में बोली, "नरेंद्र बाजार से सब्जी ले आओ।" नरेंद्र उनका घरेलू नौकर था जो काफी सालों से उनके घर में रहता था। गहरी नींद में पत्नी के मुख से अपने नाम की जगह नरेंद्र का नाम सुनकर राजीव को अपनी पत्नी के चरित्र पर शक हो गया था। उसे लगा कि वह नरेंद्र से प्यार करने लगी है। इसलिए नींद में भी नरेंद्र का नाम ले रही है। उसने उस वक्त तो उसे कुछ नहीं कहा परंतु, सुबह जब वह सो कर उठी तो उसने उसके चरित्र पर इल्जाम लगाते हुए कहा, "तुम चरित्रहीन हो आज के बाद मुझसे कोई वास्ता मत रखना"
जब राधिका ने अपने चरित्र पर इल्जाम लगाने की वजह पूछी तो राजीव गुस्से में बोला, "तुम रात को नरेंद्र का नाम ले रही थी। कौन है, वह जिसे तुम गहरी नींद में भी याद कर रही थी?” अपने ऊपर लगा इलज़ाम सुनकर राधिका मासूमियत से बोली, "बचपन से ही मुझे नींद में बोलने की आदत है। मेरी जिंदगी में आपके अलावा किसी दूसरे पुरुष का कोई स्थान नहीं है। नरेंद्र तो हमारा घरेलू नौकर है। दिन में मैंने इसे सब्जी लाने को कहा था। यही बात नींद में मेरे मुख से निकल गई होगी। इतनी सी बात के लिए मेरे चरित्र पर इल्जाम मत लगाओ।" तब राजीव ने गुस्से के कारण उसकी बात पर विश्वास नहीं किया और बगैर खाना खाये ही ऑफिस चला गया।
राधिका को अपने चरित्र पर पूरा विश्वास था। इसलिए उसने राजीव से माफी मांगने की बजाय उसे उसके हाल पर छोड़ दिया। उसने भी उससे बात करना छोड़ दिया था। राजीव को जब भी भूख लगती तो वह ऑफिस में ही होटल से मंगा कर खाना खा लेता था और राधिका की तो अपने ऊपर ऐसा इलज़ाम सुनकर भूख ही उड़ गई थी। उसने मन ही मन सोच लिया था कि जब तक राजीव उसे उसके ऊपर लगाए इल्जाम के लिए माफी नहीं मांग लेगा, वह खाना नहीं खायेगी। उसी दौरान राजीव को कंपनी की तरफ से एक काम पड़ गया था। जिसके सिलसिले में वह अपनी ससुराल की तरफ गया था। जब वह अपनी ससुराल गया तो पूजा को नींद में बोलते देखकर वह अपनी सोच पर बेहद शर्मिंदा हो गया था।
घर पहुंच कर वह हाथ जोड़कर राधिका से बोला, "मुझे माफ कर दो मुझसे गलती हो गई गहरी नींद में तुम्हारे मुख से नरेंद्र का नाम सुनकर मैं अपना आपा खो बैठा था। इसलिए मैंने तुम्हारी बात पर विश्वास नहीं किया, प्लीज मुझे माफ कर दो।" "इतनी सी छोटी बात के लिए तुमने मेरे चरित्र पर इल्जाम लगाया। मैं तुम्हें कभी माफ नहीं करूंगी और ना ही तुमसे बात करूंगी चले जाओ मेरी नजरों के सामने से।" पति को माफी मांगते देखकर राधिका ने गुस्से में कहा तो उसकी सास उसे समझाते हुए बोली, "बहु माफ कर दे इसे, माफ करने वाले का दिल बहुत बड़ा होता है। तू तो मेरी संस्कारी बहू है। जो इतना बड़ा इल्जाम लगने के बाद भी हमसे बिना कुछ कहे धैर्य के साथ हमारी सेवा करती रही। मुझे शर्म आ रही है। इसकी सोच पर इसकी तरफ से मैं तुमसे माफी मांगती हूं। मेरी बेटी इसे माफ कर दे।" ठीक है मैं आपके कहने से इन्हें माफ कर देती हूं परंतु, यदि आज के बाद इन्होंने दोबारा ऐसी गलती की तो मैं हमेशा के लिए यह घर छोड़ कर चली जाऊंगी और उनके ऊपर मानहानि का मुकदमा दायर करके इन्हें कड़ी से कड़ी सजा दिलवाउंगी। ताकि कोई भी पुरुष अपनी पत्नी पर इल्जाम लगाने से पहले सौ बार सोचे।" मैं कान पड़कर माफी मांगता हूं अब ऐसी गलती कभी नहीं होगी।" राजीव ने पश्चाताप भरे स्वर में कहा तो राधिका ने मुस्कुराते हुए उसे माफ कर दिया।

*****

0 views0 comments

Recent Posts

See All

Komentáře


bottom of page