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पानी की बूंद

Updated: Feb 3, 2023

डॉ कृष्ण कांत श्रीवास्तव

दीपक फुटबॉल का बहुत अच्छा खिलाड़ी था, परंतु मन का कुछ चंचल था| उसका मन किसी एक काम में नहीं लगता था| वह कभी फुटबॉल खेलता तो कभी क्रिकेट में अपना कैरियर ढूंढता| दीपकअपने स्कूल में फुटबॉल के साथ-साथ क्रिकेट को भी बहुत समय देता था| दीपक ने सोचा कि मैं खेलों में ही अपना कैरियर बनाऊंगा| अतः उसने निश्चय किया कि वह अधिक से अधिक समय खेलों के अभ्यास करने में ही व्यतीत करेगा| दीपक की खेल में रुचि देखकर उनके पिता ने दीपक के लिए एक अच्छे फुटबॉल प्रशिक्षक की व्यवस्था कर दी| दीपक अपने प्रशिक्षक की देखरेख में फुटबॉल का प्रशिक्षण लेने लगा परंतु उसका चंचल मन समय-समय दूसरे खेलों के लिए भी मचलता रहता था| और दीपक प्रशिक्षक की अनुपस्थिति में अपने साथियों के साथ क्रिकेट खेलने के लिए चला जाया करता था| समय बीता दीपक के प्रशिक्षक ने दीपक से कहा, “बेटा, मैं तुम्हें फुटबॉल का अच्छा अभ्यास करवा रहा हूं| तुम्हें अपना मन क्रिकेट से हटाकर फुटबॉल में ही लगाना चाहिए| जिससे तुम फुटबॉल की सभी बारीकियों को ठीक से समझ जाओ| मैंने तुम्हें दोनों ही खेलों को खेलते हुए देखा है| एक प्रशिक्षक की नजर से मैं महसूस करता हूं कि तुम फुटबॉल की बारीकियों को जितनी अच्छी तरह पकड़ते हो, उतना अच्छा प्रदर्शन क्रिकेट में नहीं कर पाते| इसलिए यह मेरा सुझाव है कि तुम अपना अधिक से अधिक समय फुटबॉल को ही दो और इसी में अपनी प्रवीणता साबित करो|”
प्रशिक्षक दीपक को समझाते हुए कहा कि मैं तुझे फुटबॉल की अच्छी प्रैक्टिस करवा रहा हूं| तुम मन लगाकर इसी कार्य को करते रहो| यदि तुम निरंतर प्रयास करते रहे तो निश्चित मानो एक दिन तुम फुटबॉल के अच्छे खिलाड़ी के रूप में उभरोगे| यदि इसके साथ-साथ अन्य खेलों में भी अपनी रुचि रखोगे तो तुम फुटबॉल में उतना अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाओगे, जितना दूसरे लोग करेंगे| परंतु दीपक ने अपने प्रशिक्षक की बात को हवा में उड़ा हवा में उड़ा दिया| समय बीता और राष्ट्रीय खेलों के चयन के लिए प्रतियोगिता का समय निकट आ गया| सभी प्रतियोगी अपने-अपने खेलों का कठिन परिश्रम करने लगे| दीपक भी कठिन परिश्रम कर रहा था परंतु समय मिलने पर वह क्रिकेट पर भी अपना ध्यान केंद्रित कर देता था|
दीपक को अपने खेलों पर बहुत विश्वास था और समझ रहा था कि उसका चयन तो अवश्य ही हो जाएगा| प्रतियोगिताका समय निकट देखकर दीपक के सभी साथी अपने अपने खेलों के प्रशिक्षण में लग गए, दीपक भी अपनी तैयारी करने लगा परंतु उसका चंचल मन तो एक जगह स्थिर रहता ही नहीं था| वह कभी क्रिकेट का अभ्यास करता है तो कभी फुटबॉल का| दीपक के पिता भी बोले, “बेटा, केवल फुटबॉल का ही अभ्यास करो,अपने समय को जाया मत करो,कोई भी व्यक्ति दो भिन्न-भिन्न प्रतियोगिताओं में अपना सर्वश्रेष्ठ नहीं दे सकता| परंतुदीपक को लगता कि वह दोनों ही खेलों में सफलता प्राप्त कर सकता है|
परीक्षण शुरू हुआ, सभी खिलाड़ियों ने अपनी अपनी रूचि के खेलों में अपना प्रदर्शन दिखाया| दीपक ने फुटबॉल के साथ-साथ क्रिकेट की भी परीक्षा| जब परिणाम का समय आया तो दिखा कि दीपक के लगभग सभी साथी अपने-अपने खेलों के लिए चयनित कर लिए गए, परंतु दीपक इस चयन प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया| दीपक ने तो दो प्रतियोगिताओं की परीक्षा दी थी| उसका प्रदर्शन भी बेहतर था,परंतु किसी भी खेल में उसकी प्रवीणता अपने दूसरे साथियों से कुछ कम ही थी| जिस कारण उसे ना तो फुटबॉल में और ना ही क्रिकेट में चयनित किया गया| यह सुनकर दीपक बहुत रोया और उसने निश्चय किया कि आज के बाद वह अपनी पूरी क्षमता केवल एक ही खेल में लगा देगा|
कुछ समय बाद जब पुनः चयन की प्रक्रिया आरंभ हुई तो दीपक का प्रदर्शन सर्वश्रेष्ठ था| उसे ना केवल फुटबॉल के खेल के लिए चयनित किया गया बल्कि उसे उस खेल का कप्तान भी नियुक्त किया गया|
इस कहानी से हमको यह शिक्षा मिलती है कि जीवन मे हम जो भी काम काम करें उस पर अपना पूरा ध्यान केंद्रित करें और उसका निरंतर अभ्यास भी करें| कहते हैं कि पानी की बूंदेभी पत्थर पर निरंतर गिरकर अपना निशान छोड़ देती|
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