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पिता का प्यार....

लक्ष्मी कांत पांडे


एक 75 वर्ष के वृद्ध पिता अपने 40 वर्षीय उच्च शिक्षित बेटे के साथ अपने घर में सोफे पर बैठे थे। अचानक एक कौवा आया और उनकी खिड़की पर आ कर बैठ गया। बूढ़े पिता ने अपने पुत्र से पूछा, बेटा “यह खिड़की पर क्या है?”
पुत्र ने पिता को उत्तर दिया पिता जी यह “यह एक कौवा है”। कुछ मिनटों बाद ही, पिता ने फिर से अपने पुत्र से पूछा, “यह क्या है?” बेटे ने कहा, “पिताजी, मैंने अभी-अभी आपसे कहा तो है, कि यह एक कौवा है। थोड़ी देर चुप रहने के बाद उस बूढ़े पिता ने तीसरी बार फिर अपने बेटे से पूछा, बेटा यह क्या है?” इस बार बेटे ने अपने पिता से गुस्से में फटकार के साथ कहा। कह तो दिया “यह एक कौवा, एक कौवा, एक कौवा है”। आपको समझ नहीं आता। थोड़ी देर बाद, पिता ने चौथी बार भी अपने पुत्र से फिर वही पूछा, “यह क्या है?”
इस बार बेटा अपने पिता पर चिढ़ते हुए चिल्लाया, “आप मुझसे एक ही सवाल बार-बार क्यों पूछते हो, मैं आप से बार-बार कह चूका हूँ कि ‘यह एक कौवा है’। क्या आप यह नहीं समझ पा रहे हो?”
थोड़ी देर के बाद पिता अपने कमरे में गए और एक पुरानी फटी हुई सी डायरी लेकर वापस आए, जिसे उन्होंने अपने बेटे के जन्म के बाद से संभाल कर रखा था। पिता ने उस डायरी का एक पन्ना खोला और अपने बेटे से कहा, बेटा क्या तुम इसे मेरे लिए पढ़ सकते हो। जब बेटे ने इस पन्ने को पढ़ा तो डायरी में यह शब्द लिखे थे:-
“आज मेरा तीन साल का छोटा सा बेटा मेरे साथ सोफे पर बैठा था, तभी खिड़की पर एक कौवा बैठा था। मेरे बेटे ने मुझसे 23 बार पूछा कि यह क्या है, और मैंने उसे 23 बार जवाब दिया कि यह एक कौआ है। जब-जब मैंने उसे जबाब दिया तब-तब मुझे अच्छा लगा और हर बार मैंने उसे प्यार से गले लगाया। मुझे उसके पूछने पर बिल्कुल भी गुस्सा नहीं आया, बल्कि मुझे अपने मासूम बच्चे के प्रति स्नेह महसूस हुआ।”
बेटे और पिता दोनों की आखें नम हो गई। फर्क बस इतना था कि बेटे की आखें शर्मिंदगी महसूस कर रहीं थी और पिता की आखें अपने बेटे के आंसू देख नम हो गई।
दोस्तों, एक पिता ही होता है जो अपने बच्चों को खुद से ज्यादा कामियाब होकर गर्भ महसूस करता है। एक पिता अपने बच्चों पर निस्वार्थ प्यार बरसता है। एक पिता अपने बच्चों को योग्य बनता है। और अपने बच्चों को हमेशा खुश देखना चाहता है।
जब हम छोटे थे तब माता-पिता ने हमारी देखभाल की। हमारी खाहिशे पूरी की। चाहें उसके लिए उन्हें अपनी ख्वाहिशों को ही क्यों न दवानी पडी हो।
जबकि छोटे बच्चे ने उनसे 23 बार “यह क्या है” पूछा, पिता को एक ही प्रश्न का 23 बार उत्तर देने में कोई जलन नहीं हुई और जब आज पिता ने अपने पुत्र से वही प्रश्न केवल 4 बार पूछा, तो बेटा न केवल चिढ़ गया बल्कि गुस्से से भी भर गया। सिर्फ इतना ही फर्क होता है पिता और बेटे में।

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