ऋतु अग्रवाल
सरला भाभी और महेश भैया हमारी ही फ्लैट के बगल में रहते हैं। महेश भैया बाजार में कपड़ों की दुकान चलाते थे। बड़े मजे में उनके दिन कर रहे थे। लेकिन कोरोना काल के दौरान बिक्री न होने से उनके कपड़े फैशन के हिसाब से पुराने हो गए। नए कपड़ों की लाट मंगाने के लिए उनके पास पूंजी की कमी थी।
जिसके परिणाम स्वरूप उनकी दुकान की बिक्री काफी कम हो गई और महेश भैया को अपना घर चलाने में दिक्कत होने लगी।
"अरे भाभी जी! कैसे परेशान हो?" बगल वाली शर्मा बहनजी ने पूछा तो नूतन बोली, "पता नहीं बहन जी, इनका काम अच्छा-खासा चल रहा था पर पिछले कुछ समय से बहुत मंदी आ गई है। समझ नहीं आ रहा कि क्या करें?"
"अरे! आपने पहले क्यों नहीं बताया? हमारे एक पंडित जी हैं, बहुत ज्ञानी हैं, भविष्यवक्ता हैं। उनके पास हर समस्या का हल है। आप चलिएगा मेरे साथ, देखना आपकी हर समस्या का समाधान हो जाएगा।" शर्मा बहन जी ने सुझाव दिया।
"क्या नाम है पंडित जी का?" नूतन ने पूछा।
"पंडित विद्याधर शास्त्री।" शर्मा बहनजी बोलीं।
"वही जिनके पुत्र ने आत्महत्या कर ली थी। अगर वह इतने ही ज्ञानी एवं भविष्यवक्ता हैं तो अपने घर की समस्याओं का हल क्यों नहीं कर पाए? बहनजी! समस्याओं का निराकरण प्रयत्न करने से होता है न कि पोथी-पत्री को दिखाने से।" नूतन ने कहा तो शर्मा बहनजी बगलें झाँकने लगीं।
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