top of page

प्यार जितना पुराना। उतना ही सुहाना है।

डॉ. जहान सिंह जहान

 

प्यार जितना पुराना। उतना ही सुहाना है।

 

क्या हुआ अगर यह नया ज़माना है।।

आज का प्यार तो बहुत बौना है।

 

कुछ पल खेलने का खिलौना है।

मन भर जाए तो झटपट बदलना है।।

 

आज की मुद्रा सौ पचास, एक रूपया और अठन्नी।

कहाँ वो चांदी, सोने के सिक्के और गिन्नी।।

 

ये टू बीएचके का फ्लैट। कहाँ वो पुरानी हवेली।

अब तो जीन्स, टॉप, स्कर्ट। कहाँ वो घागरा चोली।।

 

नया परिधान, हाई हील, गौगल, कोट।

कहाँ वो चुनर और घूंघट की ओट।।

 

इनके कंधों पर हैंड बैग पड़ा।

कहाँ वो कमर पर पानी का घड़ा।

 

कहाँ ये स्ट्रॉबेरी, पाइन एप्पल, कीवी फ्रूट की टोकरी।

कहाँ वो ठंडे तालाब के किनारे आम का बाग।।

 

प्यार जितना पुराना, उतना ही सुहाना है। 

 

ये तो है टू मिनट मैगी विद स्पाइस।

कहाँ वो धीमी आंच में पका बासमती राइस।।

 

ये क्रोकरी, बेकरी और बुफे का स्टाइल है।

वो चौके में सजा भोजन का थाल है।।

 

ये परफ्यूम की शीशी में लेमन ड्यू है।

और वो पसीने में बदन की खुशबू है।।

 

यह रेप सॉन्ग, शोर शराबे का गीत है।

वो क्लासिक शहनाई का संगीत है।।

 

प्यार जितना पुराना, उतना ही सुहाना है। 

 

कहाँ ये बेड रोल की फोल्डिंग चारपाई।

कहाँ वो मसहेरी, बिंद गद्दा रजाई।।

 

अब तो सुबह हैं दो बिस्कुट, एक चाय छोटी।

कहाँ वो ताजा मक्खन, बासी रोटी।।

 

अब पति, पत्नी नाम से जैसे सेवक बुलाते हैं।

वहाँ अजी सुनती हो। अजी सुनते हो, कहलाते हैं।।

 

नया प्यार, निराश न हो।

वक्त के साथ वो भी पुराना होकर सुहाना हो जाएगा।

पर शर्त है। ‘जहान’ दिल बड़ा रखना निभाना आ जाएगा।

*****

158 views0 comments

Recent Posts

See All

Comments


bottom of page