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बंधन तोड़ो सुख से जियो

डॉ. कृष्णकांत श्रीवास्तव

एक बार एक व्यक्ति कुछ हालातों से मजबूर अपनी ही धुन में खोया-खोया कहीं चला जा रहा था। दिमाग में हजारों सवाल, तभी उसकी नजर एक विशाल हाथी पर पड़ी, जिसे महावत ने एक पतली रस्सी से बांध रखा था।
सारे सवाल किनारे हो गए और अब उसके मन में यह बात चल रही थी कि इतना बड़ा हाथी जो मोटी चेन को भी तोड़ सकता है, उसके लिए ऐसी क्या मुश्किल है जो वह इतनी पतली सी रस्सी के सहारे भी बंधा हुआ खड़ा है। वह रस्सी को तोड़ने का कोई प्रयास नहीं कर रहा है।
उत्सुकतावश वह व्यक्ति महावत के पास गया। उस व्यक्ति ने पूछा, यह हाथी अपनी जगह से इधर उधर क्यों नहीं भागता और रस्सी क्यों नहीं तोड़ता है? महावत ने जवाब दिया, जब यह हाथी छोटा था तब भी हम इसी रस्सी से इसे बांधते थे।
जब यह छोटा था, तो बार-बार इस रस्सी को तोड़ने की कोशिश करता था पर कभी तोड़ ही नहीं पाया। कारण, तब उसमें इतनी शक्ति नहीं थी। मगर, बार-बार रस्सी तोड़ने की नाकाम कोशिश करने के कारण हाथी को यह विश्वास हो गया कि रस्सी को तोड़ना असंभव है।
आज बड़ा हो जाने और काफी शक्तिशाली हो जाने के बाद भी उसके मन में यह बात जम गई है कि वह रस्सी को नहीं तोड़ पाएगा। यही सोचकर वह रस्सी को तोड़ने की अब कोशिश भी नहीं करता है।
यह सुनकर वह व्यक्ति दंग रह गया। उस व्यक्ति के दिमाग में जो हजारों सवाल चल रहे थे, उनका जवाब अब उसे मिल चुका था। पुरानी नाकामियों ने उसके भी मन में असफल होने का डर बिठा दिया था। मगर, हाथी की कहानी ने उसके दिमाग के जाले साफ कर दिए थे।
उस हाथी की तरह हममें से भी कई लोग ऐसे हैं, जो अपने जिंदगी में कई नाकामियों के बाद हार मानकर बैठ जाते हैं। कोशिश करना छोड़ देते हैं। मगर, सफलता उन्हें ही मिलती है, जो बार-बार प्रयास करते रहते हैं।
सार - असफलता जीवन का एक हिस्सा है, और निरंतर प्रयास करने से ही सफलता मिलती है। यदि आप भी ऐसे किसी बंधन में बंधें हैं जो आपको अपने सपने सच करने से रोक रहा है तो उसे तोड़ डालिए।
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