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बहु भी बेटी

मनीषा सहाय

करीब तीन माह पहले ही रीना नये फ्लैट में शिफ्ट हुई थी। तब से ही रोज सुबह ही बगल के फ्लैट से सुबह-सुबह आती आवाजें ... "अरे राधा मेरे स्नान के लिये गर्म पानी रख दिया, तभी किसी ने जोरों से कहा- "साढे़ छह बज रहें है निर्मला!! ये बहु क्या कर रही है, अभी तक चाय नहीं बनाई।
तभी एक अन्य आवाज "यार राधा टिंकू की स्कूल बस आती ही होगी, पता नही क्या कर रही हो? तभी भाभी कहाँ हो, मेरे बालों में मेंहदी लगानी याद है न! ?...
इन बुलंद आवाजों के बीच-बीच में एक हल्की आवाज भी आ रही थी.. जी हाँ! आई, बस ला रहीं हूँ! हाँ जीजी!
रीना का कोतूहल और संवेदना आज तो सीमा पार कर उस फ्लैट तक जा पहुँचे और उसने डोरबेल बजा दी....ट्रिन-ट्रिन ट्रिन !
सामने से एक दबंग महिला ने दरवाजा खोला और पूछा -- "कौन हो जी?"
रीना ----"जी पड़ोसी!"
"अच्छा! आओ!!
कहाँ से हो?
शादीशुदा हो या कँवारी?
जाति क्या है तुम्हारी?
वह क्या है न आजकल बड़े शहरों में इसी तरह लोग मीठी-मीठी बातें बना नजदिकियाँ बढ़ाते हैं और फिर कुछ कांड कर भाग जातें हैं।
अच्छा कितना पढ़ी लिखी हो?
ब्वाय फ्रेंड तो जरूर होगा!
आजकल की लडकियाँ तो बेशर्मी में लड़कों से भी आगे निकल गई है।
नौकरी, पढाई के नाम पर मनमानी ढ़ग से जिंदगी बिताने का सपना लिये रहती हैं न बड़ों का सम्मान ना आँखों में लिहाज वगैरह वगैरह ........
रीना ने कहा -- "जी! मैं यूपी से हूँ, संस्कारी हूँ, सरकारी नौकरी करने के लिये दिल्ली आई हूँ। रोज सुबह-सुबह आपलोगों की ढेरों फरमाईश की आवाजें सुन कर उत्सुक हो उठती हूँ और बस आज रहा नही गया तो आपके दर्शन को चली आई। आपके घर में सब काम आपकी बहू ही करती है ना! सो कॉल! आज की लड़कियाँ!
आप लोगों को नही लगता कि घर के काम में आपको उसकी मदद करनी चाहिए!
तभी उनकी लड़की --- ओए ! तुम होती कौन हो?
तभी वह दबंग महिला गर्दन ऐंठी, तमतमाती हुई कहती है,-
"मैं सोसायटी की हेड हूँ। ऐ लड़की देख तुझसे कैसे फ्लेट खाली करवाती हूँ, तू क्या मेरी पहुँच उँचे लोगों तक है।"
रीना ---" मैं महिला आयोग दिल्ली की अधिकारी हूँ।"
तभी बहु सामने आ गई और सास को बचाते हुए कहने लगी -- "जी बैठिए न! महिला आयोग में काम करती हैं तो इसका मतलब यह नही कि किसी को भी आप पड़ताड़ित करेंगी, यह मेरा घर है मैं यहाँ खुशी से सभी की सेवा करती हूँ।"
बस फिर क्या था, वह गर्दन ऐंठी सासू ने बढ़कर बहू का माथा चूमा लिया, और रीना को घर से बाहर जाने का रास्ता दिखाया गया। खैर दो पल के लिये ही सही पर बहु को बेटी का मान तो मिला।

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