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बहू का दर्द

डा. मधु आंधीवाल

आज सुनीता बहुत खुश थी क्योंकि कल उसके इकलौते बेटे संचित की शादी थी। वह तो भाग-भाग कर सबको बता रही थी कि सबको बहू प्राची का स्वागत किस तरह करना है। उसके पति मोहन लाल उसकी प्रसन्नता को महसूस कर रहे थे। वह रात को सब इन्तजाम और मेहमानो के आराम की व्यवस्था करके अपने कमरे में आई। बहुत थकी हुई थी। मोहन लाल ने कहा तुम आराम करो अभी बहुत काम करना है। सुनीता बोली हां अभी एक जरूरी काम रह गया वह आप करोगे। वह है दोनों बच्चों के मिलन की प्रथम रात्रि के लिए अच्छे होटल में व्यवस्था। कल सुबह सबसे पहले कमरा बुक कराना और दूसरे दिन उसकी बहुत सुन्दर सजावट और यह कह कर वह अपनी बीती हुई जिन्दगी के उन पन्नों को खगालने लगी जो दर्द भरे थे।
सुनीता की शादी छोटी उम्र में हुई। पति की उम्र भी अधिक नहीं थी। सुनीता शहर में पली थी। ससुराल छोटे कस्बे में थी। घर में कोई अधिक शिक्षित नहीं था सिवा पति के क्योंकि वह शहर में पढ़े थे और वहीं सर्विस करते थे। बहुत मधुर सपने लेकर ससुराल पहुँची। कार से उतर भी नहीं पाई थी कि पति से छोटी ननद एक दम बोलीं अरे मुंह खोल कर आई हो घूंघट करो। वह एकदम सकपका गयी मायेके में बहुत लाडली और बिन्दास जीने वाली लड़की। उसके बाद गृह प्रवेश हुआ। बक्सा खोलने की रस्म होनी थी। सबकी साड़ियां नाम लगा कर रखी थी पर ननदों को तो उसकी साडि़यां पसंद आई जिनको उसके भाई बड़े प्यार से उसके लिये लाये थे। वह मन ही मन डर गयी थी। आंखो में चुपचाप आंसू लिये घूंघट में से देख रही थी। वह बस अपने प्रियतम से मिलने की प्रतीक्षा में थी कि कैसे भी उनसे मिल कर अपना मन हल्का करे। जैसे-जैसे रात होने लगी बड़ी ननद और बुआ सास ने फरमान जारी कर दिया की अभी पांच दिन तक ये सबके पास सोयेगी जब तक पूजा ना हो जाये।
मोहन लाल ने देखा रात के 2 बजे हैं पर सुनीता जगी हुई विचारों में खोई हुई है। वह बोले सो जाओ कल बहुत काम है। सुबह से ही घर में बहुत चहल पहल थी। आज का दिन बहुत हर्षदायक था उसके लिये। बस कल उसके घर की रौनक आ जायेगी।
फेरे हो गये थे। विदा होकर प्राची घर आ गयी। बस उसकी दोनों ननद शुरू हो गयी कि अरे पल्लू सर पर नहीं है। वह फिर भी चुप रही। जब बक्सा खुलने की रस्म की बात आई तब सुनीता ने कहा कोई जरूरी नहीं सबकी साड़ियां पहले ही आ गयी हैं। जब रात को उसने होटल भेजने का इन्तजाम किया तब सब कहने लगी कि जरा भी शर्म नहीं रही थोड़ा तो बड़े लोगों का लिहाज करो। बस सुनीता एक दम चिल्ला पड़ी "बस बहुत हो गया।"
मेरी बहू वह सब नहीं झेलेगी जो मैने झेला था।

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