जिया
घड़ी वो और चूड़ी मैं निकालूंगी कलाई से,
बहुत उकता चुके हैं यार दोनों आशनाई से,
उसे बस देखना ही आँख की बीनाई ले डूबा,
उसे लिखते अगर तो हाथ जलता रोशनाई से,
हमें जो साथ बतलाए वो इकवेशन नहीं बनती,
मुझे क्या फ़ायदा होता है फिर मेरी पढ़ाई से,
तुम्हें गर बेवफ़ा कहता है वो शख़्स यानी तुम,
बड़े मशहूर हो जाओगे अपनी बेवफ़ाई से,
जिन्हें मन्ज़िल तलब होगी वो ख़ुद पा लेंगे मन्ज़िल को,
कोई आगे नहीं बढ़ता किसी की रहनुमाई से,
सुकून ए दिल समझ लो या वसीला है ग़ज़लगोई,
हमारा घर नहीं चलता वरना इस कमाई से!
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