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बैल की पूँछ

डॉ. कृष्ण कांत श्रीवास्तव

एक बार एक नौजवान आदमी एक किसान की बेटी से शादी की इच्छा लेकर उसके पास गया। किसान ने उसकी ओर देखा और कहा, “युवक, खेत में जाओ। मैं एक-एक करके तीन बैल छोड़ने वाला हूँ। अगर तुम तीनों बैलों में से किसी भी एक बैल की पूँछ पकड़ लो तो मैं अपनी बेटी की शादी ख़ुशी-ख़ुशी तुमसे कर दूंगा।”
नौजवान खेत में बैल की पूँछ पकड़ने की तीव्र इच्छा लेकर खड़ा हो गया। उसके बाद किसान ने अपने घर का दरवाजा खोला और एक बहुत ही बड़ा और खतरनाक बैल उस घर से निकला। नौजवान ने ऐसा बैल पहले कभी नहीं देखा था। बैल से डर कर नौजवान ने निर्णय लिया कि वह अगले बैल का इंतज़ार करेगा और वह एक तरफ हो गया जिससे बैल उसके पास से होकर निकल जाए।
घर का दरवाजा फिर खुला। आश्चर्यजनक रूप से इस बार पहले से भी बड़ा और भयंकर बैल निकला। नौजवान ने सोचा कि इससे तो पहला वाला बैल ही ठीक था। बेकार में मैंने एक अच्छा अवसर गवां दिया। फिर उसने एक ओर होकर बैल को निकल जाने दिया।
उसके बाद तीसरी औऱ आख़री बार दरवाजा खुला। नौजवान के चेहरे पर मुस्कान आ गई। इस बार उसमें से एक छोटा और मरियल सा बैल निकला। जैसे ही बैल नौजवान के पास नज़दीक आने लगा, नौजवान ने उसकी पूँछ पकड़ने के लिए मुद्रा बना ली ताकि उसकी पूँछ सही समय पर पकड़ ले। पर उस बैल की पूँछ थी ही नहीं.........!!
नौजवान निराश हो गया और वह किसान को दिया गया अपना वचन भी हार गया।
जिन्दगी अवसरों से भरी हुई है। कुछ सरल हैं तो कुछ कठिन, पर अगर हमनें एक बार अच्छा अवसर गवां दिया तो फिर शायद वह अवसर जीवन में दुबारा नहीं मिलेगा। अतः हमेशा प्रथम अवसर को ही अंतिम अवसर मानकर उसे हासिल करने का प्रयास करना समझदारी है।

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