कविता भड़ाना
सुलेखा कई दिनों से देख रही है कि उसकी छोटी बेटी रिया बहुत उदास और सबसे खींची-खींची सी रहने लगी है, पहले जहां सारा घर रिया की शरारतों से गुलज़ार रहता था वही उसकी ये चुप्पी घर में सब को खल रही थीं।
पति सिद्धार्थ, सास-ससुर और दो बेटियां, बड़ी बेटी टीना जिसका विवाह हों चुका है और छोटी बेटी रिया, जो अभी कॉलेज में है, छोटा सा खुशहाल परिवार है सुलेखा का।
आज रिया जब कॉलेज से घर आई तो सुलेखा ने उससे बड़े प्यार से पूछा, बेटा इतने दिनों से देख रही हूं कि तू बहुत परेशान हैं। कोई बात है तो, मुझे बता, मां का प्यार और स्नेहिल स्पर्श मिलते ही रिया फूट-फूट कर रोने लगी और बोली "मां क्या आपको भी दूसरा बच्चा बेटा ही चाहिए था।"
सुलेखा ने हैरान होकर पूछा ये क्या कह रही है रिया? किसने कहा तुमसे ये सब? "अभी दो हफ्ते पहले जब हम बड़ी बुआ के घर शादी में गए थे तो बुआ वहां सब से कह रही थी कि मेरे भाई के तो कर्म ही खराब निकले जो दो-दो बेटियां दे दी। एक भतीजा होता तो आज भात के समय भाई भतीजे का साथ तिलक करती मैं, और मुझे वहां सब बड़ी बेचारगी से देख रहे थे। जैसे मैं ही जिम्मेवार हूं, हिचकियां लेते हुए रिया बोली।"
ओह तो ये बात है, सुलेखा ने रिया का हाथ पकड़ा और सभी घरवालों को इक्कठा करके सारी बातें बताई। तो सबको बड़ी बुआ पर बहुत गुस्सा आया। रिया की दादी ने उसे अपने पास बिठाया और बोली, बेटा इस तरह "कान का कच्चा" नही होना चाहिए। जिस बुआ की बात को तू इतना दिल से लगा रही है ना उसने अपनी बहू के तीन बार गर्भपात सिर्फ लड़की होने की वजह से कराएं थे और आज दो पोते होने पर इतरा रही है। अरे तेरी मां को गंभीर समस्या होने पर डॉक्टरों ने तेरे समय गर्भपात कराने की सलाह दी थी और साफ साफ कह दिया था कि इसमें इनकी जान को भी खतरा हो सकता है। और जब बच्चे की शारीरिक और मानसिक विकास की स्थिति जानने के लिए अल्ट्रासाउंड में जांच द्वारा तेरे होने का पता चला, तो इसने अपनी जान की परवाह ना करके तुझे जन्म दिया। ये बात हम सबको पहले ही पता चल गई थी कि दूसरी भी लड़की ही है। तभी सुलेखा वो सब रिपोर्ट्स लेकर आई, जिससे सब कुछ साफ हो गया कि रिया अवांछित नहीं है।
रिया के दिल से भी अब बोझ उतर चुका था, वह अपने भाग्य पर इतरा उठी। जो उसे ऐसा परिवार मिला, जहां दूसरी कन्या को बोझ नहीं, ईश्वर का आशीर्वाद समझा गया है।
****
Comentários