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मौन अखरता है।

आलोकेश्वर चबडाल


अखरता है
शब्दकोश के शब्दों के यह, कान कतरता है,
मौन अखरता है प्रिय तेरा, मौन अखरता है!

निर्मम निर्दय निष्ठुर नीरस
जो चाहे तू कह ले,
मेरी नदिया तू बस मुझमें
मंथर मंथर बह ले,

तेरे रुक जाने से मेरा, प्राण ठहरता है,
मौन अखरता है प्रिय तेरा, मौन अखरता है!

मुख पर अंगुली धरे हुए हैं
चूड़ी कंगन पायल,
पलकों के घर चुप बैठे हैं
मन के काले काजल,

देखा देखी झुमका देखो, पेंग न भरता है,
मौन अखरता है प्रिय तेरा, मौन अखरता है!

जूही चम्पा और चमेली
बोल रहीं हैं कब से,
विद्रोही ये तेवर तेरे
तोल रहीं हैं कबसे,

अधिक क्रोध से बना बनाया, बाग बिखरता है,
मौन अखरता है प्रिय तेरा, मौन अखरता है!

आती जाती गंध छुआती
अच्छी लगती है,
गीत गजल तू छंद चुआती
अच्छी लगती है,

सुन कस्तूरी खोकर अपनी, कौन निखरता है
मौन अखरता है प्रिय तेरा, मौन अखरता है!

पुष्प वाटिका है तू मेरी
प्रीत घटी है तुझसे,
तुझसे मेरी अवधपुरी है
पंचवटी है तुझसे,

बता जरा कब राम सिया बिन, पार उतरता है
मौन अखरता है प्रिय तेरा, मौन अखरता है!!!

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