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माई नेम इज स्मार्टफोन

डॉ. जहान सिंह 'जहान'


अब इसी का नाम है ज़िन्दगी।

हर सुबह फोन पर दुआ-सलाम, बन्दगी।

रात झूठ, छल, कपट मानसिक गन्दगी।

पहले हम मोबाइल रखते थे।

अब हम को मोबाइल रखता है।।

हसांता वो, रुलाता वो

जगाता वो, सुलाता वो।

कुपोषित ज्ञान का दल दल है वो।

दिन-रात की हल-चल है वो।

घर बालों को बेघर कराता है वो।

रिचार्ज हो या डिस्चार्ज हो तब

घर बालों से संबाद करवाता है वो।

अनपढ से लेकर पढे लिखो को किनारे लगाता है वो।

गलती से नींद भी आजाये अगर तो

एक खटक से जगाता है वो।

बनके मालिक सबको अपने पीछे दौड़ता है वो।

उंगली आपकी पर अपनी उंगलियों पर नचाता है वो।

करदी जिन्दगी जिस के हवाले 'जहान'

माई नेम इज स्मार्टफोन कहलाता है वो।।


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