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मेरा गाँव

सुनीता पाण्डेय

निशा सालों बाद अपने मम्मी-पापा के साथ गांव जा रही थी। आपने मामा के बेटे की शादी में। बचपन में गई थी उसके बाद हॉस्टल में पढ़ने गई तो वहीं की हो गई। जब कभी छुट्टियां मिलती तो नई-नई जगह चली जाती मम्मी-पापा के साथ, बाद में दोस्तो के साथ, मेट्रो सिटी, विदेश घूमना उसे पसंद था।
वो गांव आना ही नही चाहती थी, पर सबके कहने पर वो मान गई और बेमन चली आई इस गांव। गांव में पहुंचते ही गोबर की बदबू, कच्चे रास्ते, उसे गुस्सा दिला रहे थे। बैलगाड़ी मे बैठकर उसका सफर उसे चिड़चिड़ा कर रहा था। पर मम्मी की हिदायतें बार-बार उसके गुस्से को दबा रही थी।
पूरे रास्ते पेड़ों से गिरे सूखे पत्ते देख रही थी, फिर जैसे बैलगाड़ी आगे बढ़ रही थी, वो चारो तरफ खेतों में उग आई गेंहू की फसल देख थोड़ा बहुत खुश हुई। जाहिर नही किया उसने, पर उसकी मां उसे देख समझ गई। अपने ननिहाल पहुंच कर मामा-मामी से मिली, फिर सब बच्चे एक दूसरे से मिले।
मामी ने चाय नाश्ता लगाया, इतना कुछ खाने का सामान देख उसने मामी से पूछा, "मामी इतना सारा सामान यहां मिल जाता है क्या?" "हां बिटिया यहां सब मिलता है पर ये सब मैने घर में खुद अपने हाथ से बनाया है।"
"इतना सब"
"हां बेटा घर के बने खाने में स्वाद भी होता है और बरकत भी।"
शाम को वो घर के सब बच्चों के साथ खेतों में घूमने गई, तरह-तरह के फल, फूल, सब्जियां देख वो हैरान हो गई। पेड़ों से तोड़ कर खाना, कही कोई मनाही नहीं। सब गांव वाले उसे अपने-अपने खेतो में, बागों में ले जाए और जो उसका मन हो वो उसे तोड़ कर दे।
ऐसा तो उसने पहली बार देखा था क्योंकि शहर में तो बिना पैसे के कुछ भी नही मिलता और वो भी इतना ताजा तो कभी नही। रात में आसमान से आती ठंडी-ठंडी हवा इस गर्मी के मौसम को भी अंगूठा दिखा रही थी। बिना एसी और कूलर के भी उसे बहुत ऐसी नींद आई कि लगा सालों बाद उसने सुकून की नींद की है।
दूसरे दिन वो गांव के बच्चों के साथ तालाब में नहाने गई, फिर मंदिर में आरती के समय सब गांव वालों का एक साथ पूजा करना उसके मन को प्रफुल्लित कर रहा था। अब तो उसे यहां का माहौल अच्छा लगने लगा। गांव की हरियाली, हरे भरे पेड़, ताज़ी एवं शुद्ध हवा ये प्रकृति का इंसान को दिया सबसे अनमोल तोहफा है पर हम ईंट पत्थर कंक्रीट के घरों को महल कहते है अब ये अंतर उसे साफ-साफ समझ आ रहा था।
अब प्रकृति की खूबसूरती उसके मन में बस गई थी उसने घर आकर अपनी मम्मी को बुलाया और कहा, "मम्मी अब हम हर छः महीने में एक बार जरुर यहां आएंगे।"
उसकी मम्मी ने कहा, "क्यों?"
"मेरी प्यारी मम्मी क्योंकि यहां जीवन है, खुशियां है, सुख है, शांति है जो प्रकृति ने इस जगह को दी है और मुझे अब प्रकृति की गोद में इन खुशियों को महसूस करना है।"
उसकी बातें सुन पूरे परिवार ने जोर से ताली बजा कर कहा, "बिलकुल सही....

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