top of page

मेरी कहानी

अनामिका


सोचा न था जो लिखूंगी कभी
वो मेरी ही कहानी होगी।
याद आयेगी वो रह-रहकर
जो-जो यादें पुरानी होंगी।
रुक-रुक करके वो टीसेंगी
बन आँख में पानी होंगी।
काग़ज़ पर तो न उतरी होगी
पर सब याद जुब़ानी होंगी।
आत्मा मर चुकी होगी शायद
तन में हरकतें बाक़ी होंगी।
अभी जिंदा हूँ ये बताने को
मुझे धड़कनें सुनानी होंगी।
महलों में तो रही हूँ
मगर गलतफ़हमी मिटानी होगी।
किसी ख़्वाब ने कहा था
कि एक दिन तुम रानी होगी।
सोचा न था जो लिखूंगी कभी
वो मेरी ही कहानी होगी।
अगर कुछ बातें बतानी होंगी
तो कुछ बातें छुपानी होंगी।
*******
1 view0 comments

Recent Posts

See All

Comments


bottom of page