top of page

मेरी ताकत

डॉ. कृष्णकांत श्रीवास्तव


एक छोटे कसबे में रहने वाले दस वर्षीय बालक को जूडो सीखने का बहुत शौक था। परंतु बचपन में हुई एक दुर्घटना में बायाँ हाथ कट जाने के कारण उसके माता-पिता उसे जूडो सीखने की आज्ञा नहीं देते थे। अब वो बड़ा हो रहा था और उसकी जिद्द भी बढ़ती जा रही थी।
अंततः माता-पिता को झुकना ही पड़ा और वो बालक को नजदीकी शहर के एक मशहूर मार्शल आर्ट्स गुरु के यहाँ दाखिला दिलाने ले गए।
गुरु ने जब बालक को देखा तो उन्हें अचरज हुआ कि बिना बाएँ हाथ का यह बालक भला जूडो क्यों सीखना चाहता है? उन्होंने पूछा, “तुम्हारा तो बायाँ हाथ ही नहीं है तो भला तुम दूसरे बालकों का मुकाबला कैसे करोगे।”
“ये बताना तो आपका काम है” बालक ने कहा। मैं तो बस इतना जानता हूँ कि मुझे सभी को हराना है और एक दिन खुद मास्टर बनना है।
गुरु उसकी सीखने की दृढ इच्छा शक्ति से काफी प्रभावित हुए और बोले, “ठीक है मैं तुम्हें सिखाऊंगा लेकिन एक शर्त है, तुम मेरे प्रत्येक निर्देश का पालन करोगे और उसमें दृढ विश्वास रखोगे।”
बालक ने सहमती में गुरु के समक्ष अपना सर झुका दिया। गुरु ने एक साथ लगभग पचास छात्रों को जूडो सिखना शुरू किया। बालक भी अन्य बालकों की तरह सीख रहा था। पर कुछ दिनों बाद उसने ध्यान दिया कि गुरु जी अन्य बालकों को अलग-अलग दांव-पेंच सिखा रहे हैं, लेकिन वह अभी भी उसी एक किक का अभ्यास कर रहा है जो उसने शुरू में सीखी थी। उससे रहा नहीं गया और उसने गुरु से पूछा, “गुरु जी आप अन्य बालकों को नए-नए दांवपेच सिखा रहे हैं, पर मैं अभी भी बस वही एक किक मारने का अभ्यास कर रहा हूँ। क्या मुझे और चीजें नहीं सीखनी चाहियें?”
गुरु जी बोले, “तुम्हें बस इसी एक किक पर महारथ हांसिल करने की आवश्यकता है।” और वो आगे बढ़ गए।
बालक को विस्मय हुआ पर उसे अपने गुरु में पूर्ण विश्वास था और वह फिर अभ्यास में जुट गया।
समय बीतता गया और देखते-देखते दो साल गुजर गए, पर बालक उसी एक किक का अभ्यास कर रहा था। एक बार फिर बालक को चिंता होने लगी और उसने गुरु से कहा, “क्या अभी भी मैं बस यही करता रहूँगा और बाकी सभी नयी तकनीकों में पारंगत होते रहेंगे।”
गुरु जी बोले, “तुम्हें मुझ में यकीन है तो अभ्यास जारी रखो।”
बालक ने गुरु की आज्ञा का पालन करते हुए बिना कोई प्रश्न पूछे अगले 6 साल तक उसी एक किक का अभ्यास जारी रखा।
सभी को जूडो सीखते आठ साल हो चुके थे कि तभी एक दिन गुरु जी ने सभी शिष्यों को बुलाया और बोले “मुझे आपको जो ज्ञान देना था वो मैं दे चुका हूँ और अब गुरुकुल की परंपरा के अनुसार सबसे अच्छे शिष्य का चुनाव एक प्रतिस्पर्धा के माध्यम से किया जायेगा और इसमें विजयी होने वाले शिष्य को “सर्वोत्तम” की उपाधि से सम्मानित किया जाएगा।”
प्रतिस्पर्धा आरम्भ हुई। गुरु जी ने बालक को उसके पहले मैच में हिस्सा लेने के लिए आवाज़ दी।
बालक ने लड़ना शुरू किया और खुद को आश्चर्य चकित करते हुए उसने अपने पहले दो मैच बड़ी आसानी से जीत लिए। तीसरा मैच थोडा कठिन था, लेकिन कुछ संघर्ष के बाद विरोधी ने कुछ क्षणों के लिए अपना ध्यान उस पर से हटा दिया, बालक को तो मानो इसी मौके का इंतज़ार था, उसने अपनी अचूक किक विरोधी के ऊपर जमा दी और मैच अपने नाम कर लिया।
इस बार विरोधी कहीं अधिक ताकतवर, अनुभवी और विशाल था। देखकर ऐसा लगता था कि बालक उसके सामने एक मिनट भी टिक नहीं पायेगा।
मैच शुरू हुआ, विरोधी बालक पर भारी पड़ रहा था, रेफरी ने मैच रोक कर विरोधी को विजेता घोषित करने का प्रस्ताव रखा, लेकिन तभी गुरु जी ने उसे रोकते हुए कहा, “नहीं, मैच पूरा चलेगा।”
मैच फिर से शुरू हुआ। विरोधी अति आत्मविश्वास से भरा हुआ था और अब बालक को कम आंक रहा था। इसी दंभ में उसने एक भारी गलती कर दी, उसने अपना गार्ड छोड़ दिया। बालक ने इसका फायदा उठाते हुए आठ साल तक जिस किक की प्रैक्टिस की थी उसे पूरी ताकत और सटीकता के साथ विरोधी के ऊपर जड़ दिया और उसे ज़मीन पर धराशाई कर दिया। उस किक में इतनी शक्ति थी कि विरोधी वहीं मूर्छित हो गया और बालक को विजेता घोषित कर दिया गया।
मैच जीतने के बाद बालक ने गुरु से पूछा, “भला मैंने यह प्रतियोगिता सिर्फ एक मूव सीख कर कैसे जीत ली?”
“तुम दो वजहों से जीते,” गुरु जी ने उत्तर दिया। “पहला, तुम ने जूडो की एक सबसे कठिन किक पर अपनी इतनी दक्षता हासिल कर ली कि शायद ही इस दुनिया में कोई और यह किक इतनी निपुणता से मार पाए, और दूसरा कि इस किक से बचने का एक ही उपाय है, और वह है विरोधी के बाएँ हाथ को पकड़कर उसे ज़मीन पर पटकना।”
बालक समझ चुका था कि आज उसकी सबसे बड़ी कमजोरी ही उसकी सबसे बड़ी ताकत बन चुकी थी।
सार - जिसके अन्दर अपने सपनें को साकार करने की दृढ इच्छा होती है भगवान उसकी मदद के लिए कोई न कोई गुरु भेज देता है, ऐसा गुरु जो उसकी सबसे बड़ी कमजोरी को ही उसकी सबसे बड़ी ताकत बना कर उसके सपनें को साकार कर सकता है।

******

0 views0 comments

Recent Posts

See All

Comments


bottom of page