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मेरे ख्वाबों की गलियों में

मधु मधुलिका

मेरे ख्वाबों की गलियों में तेरी सूरत रहती है।
ह्रदय के मन मंदिर में बसी तेरी मूरत रहती है।
बनाया प्रेमग्रंथ पन्नो पर लिख नाम तुम्हारा,
छलकती मेरे हर गीतों में तेरी चाहत रहती है।
बाँध लिया तुमको पागल मन की लहरों ने,
सुलगती साँसे मन की तरसती आंखें रहती है।
उदास सुबह घोर अँधेरी लगे रात चाँदनी,
बिन तेरे इस जीवन में तन्हाई रहती है।
मृगतृष्णा सी भटक रही मैं तेरी तलाश में,
साया बन तेरे साथ रहूँ ये हसरत रहती है।
अंतर्मन में पाकर खुशबू खिला मन का गुलाब,
आ जाओ अब मिलने उदास तबीयत रहती है।
अकेले में अकेले संग तेरे करती हूँ मैं संवाद,
यादों में तेरे पलकें आँसूओं से भीगी रहती हैं।

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