मन कही कह नही पाती
तब कविताएं लिखती हूं
दर्द दिल का जब सह नहीं पाती
तब कविताएं लिखती हूं
भीड़ मैं हूं खुद को जब तन्हा पाती
तब कविताएं लिखती हूं
खुशी और गम में जब तुमको नही पाती
तब कविताएं लिखती हूं
अंधेरी रातों में जब देख नही पाती
तब कविताएं लिखती हूं
जब सांसों की आवाज महसूस कर नही पाती
तब कविताएं लिखती हूं
जिंदगी का मर्म जब समझ नहीं पाती
तब कविताएं लिखती हूं
अपने ही शब्दो में जब खुद को ढूंढ नही पाती
तब कविताएं लिखती हूं
तुम्हे जब इन कविताओं में सुन नही पाती
तब कविताएं लिखती हूं....
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