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मोहन का पेपर

रमाकांत शर्मा

आज फिर बेटा बिना कुछ खाए घर से जा रहा था, तो मां ने बेटे से कहा – बेटा थोड़ा खाना खाकर जा। दो दिन से तूने कुछ नहीं खाया – तो बेटे ने कहा देखो मम्मी मैंने मेरी 12वीं बोर्ड की परीक्षा के बाद सेकंड हैंड बाइक मांगी थी और पापा ने प्रॉमिस किया था कि जरूर लेकर देंगे। आज मेरा आखिरी पेपर है दीदी को कह देना कि जैसे ही मैं परीक्षा देकर बाहर आऊंगा। तब वह पैसे लेकर बाहर खड़ी रहे। मेरे दोस्त की पुरानी बाइक मुझे आज ही लेनी है और हां यदि दीदी वहां पैसे लेकर नहीं आई तो मैं घर वापस नहीं आऊंगा।
एक गरीब घर में बेटे मोहन की जिद और माता की लाचारी आमने-सामने टकरा रही थी। मां ने कहा बेटा तेरे पापा तुझे बाइक लेकर देने ही वाले थे। लेकिन पिछले महीने एक्सीडेंट, इससे पहले के मां अपनी बात पूरी कर पाती उससे पहले मोहन बोला मैं कुछ नहीं जानता मुझे तो बाइक चाहिए ही चाहिए। ऐसा बोलकर मोहन अपनी मम्मी को गरीबी और लाचारी की मझदार में छोड़कर घर से बाहर निकल गया।
12वीं बोर्ड की परीक्षा के बाद भागवत सर एक अनोखी परीक्षा का आयोजन करते थे। हालांकि भागवत सर का विषय गणित था। किंतु विद्यार्थियों को जीवन का गणित भी समझाते थे। उनके सभी विद्यार्थी यह परीक्षा जरूर देने आते थे। इस साल परीक्षा का विषय था – मेरी पारिवारिक भूमिका। मोहन परीक्षा कक्षा में आकर बैठ गया। उसने मन में गांठ बांध ली थी कि यदि मुझे बाइक नहीं लेकर देंगे तो मैं घर नहीं जाऊंगा। भागवत सर ने क्लास में सभी को पेपर बांट दिए। पेपर में कुल 10 प्रश्न थे। उत्तर देने के लिए 1 घंटे का समय दिया गया था।
मोहन ने पहले प्रश्न पढ़ा – आपके घर में आपके पिताजी, माताजी, बहन, भाई और आप कितने घंटे काम करते हो? बिस्तार में बताइए? मोहन ने तुरंत जवाब लिखना शुरू कर दिया पापा सुबह 6:00 बजे टिफिन के साथ अपनी ऑटो रिक्शा लेकर निकल जाते हैं और रात को 9:00 बजे वापस आते हैं। ऐसे में वह लगभग 15 घंटे काम करते हैं। मम्मी सुबह 4:00 बजे उठकर पापा का टिफिन तैयार करती है। बाद में घर का सारा काम करती है। दोपहर को सिलाई का काम करती है और सभी लोगों के सो जाने के बाद वह सोती है। लगभग रोज 16 घंटे काम करती है।
दीदी सुबह कॉलेज जाती है और शाम को 4:00 से 8:00 बजे तक पार्ट टाइम जॉब करती है और रात को मम्मी के काम में मदद करती है। लगभग 12 से 13 घंटे काम करती है। मैं सुबह 6:00 बजे उठता हूं और दोपहर को स्कूल से आकर खाना खाकर सो जाता हूं। शाम को अपने दोस्तों के साथ टहलता हूं। रात को 11:00 तक पढ़ता हूं तो लगभग 10 घंटे तक मैं व्यस्त रहता हूं।
पहले सवाल के जवाब के बाद मोहन ने दूसरा प्रश्न पढ़ा – आपके घर की मासिक कुल आमदनी कितनी है? तो मोहन ने जवाब लिखना शुरू किया मेरे पापा की आमदनी लगभग ₹10000 है। मम्मी और दीदी मिलकर 5000 कुल जोड़ लेते हैं। कुल आमदनी 15000 रुपए है।
प्रश्न नंबर तीन था – मोबाइल रिचार्ज प्लान, आपकी मनपसंद टीवी पर आ रही तीन सीरियल के नाम, शहर के एक सिनेमा हॉल का पता और अभी वहां चल रही मूवी का नाम बताइए? सभी प्रश्नों के जवाब आसान होने के कारण मोहन ने फटाफट 2 मिनट में लिख दिए।
अब बारी थी प्रश्न नंबर चार की और चार नंबर प्रश्न था 1 किलो आलू और भिंडी की कीमत क्या है? 1 किलो गेहूं चावल और तेल की कीमत बताइए और जहां पर घर का गेहूं पिसाने जाते हो उस आटा चक्की का पता भी बताइए? मोहन को इस सवाल का जवाब नहीं आया उसे समझ में आया कि हमारे दैनिक आवश्यक जरूरत की चीजों के बारे में तो उसे थोड़ा भी पता नहीं है। मम्मी जब भी कोई काम बताती थी तो मना कर देता था। आज उसे समझ में आया कि बेकार की चीज मोबाइल रिचार्ज, मूवी का ज्ञान ही जरूरी नहीं है। अपने घर के कामों की समझ होना भी बहुत जरूरी है।
प्रश्न नंबर पांच था – आप अपने घर में भोजन को लेकर कभी तकरार या गुस्सा करते हैं? तो मोहन ने सोच कर जवाब लिखा – हां मुझे आलू के सिवा कोई भी सब्जी पसंद नहीं है। यदि मम्मी और कोई सब्जी बनाएं तो मेरे घर में झगड़ा होता है। कई बार मैं बिना खाना खा उठ खड़ा हो जाता हूं। इतना लिखते ही मोहन को याद आया की आलू की सब्जी से मम्मी को गैस की तकलीफ होती है। पेट मे दर्द होता है। मम्मी अपनी सब्जी में एक बड़ी चमच्च अजवाइन डालकर खाती है।
एक दिन मैंने गलती से मम्मी की सब्जी खा ली थी और फिर मैं थूक दिया था और फिर पूछा था कि मम्मी तुम इतनी कड़वी सब्जी क्यों खाती हो? तब दीदी ने बताया था कि हमारे घर की स्थिति अच्छी नहीं है, कि हम दो सब्जी बनाकर खाएं। तुम्हारी जिद के कारण मम्मी बेचारी क्या करें?
मोहन ने अपनी यादों से बाहर आकर अगले प्रश्न को पढ़ा – अगला प्रश्न नंबर छः था – आपने अपने घर में की हुई आखिरी जिद के बारे में लिखिए? मोहन ने जवाब लिखना शुरू किया मेरी बोर्ड की परीक्षा पूर्ण होने के बाद दूसरे ही दिन बाइक के लिए जिद की थी। पापा ने कोई जवाब नहीं दिया था और मम्मी ने समझाया था कि घर में पैसे नहीं है। लेकिन मैं नहीं माना मैंने दो दिन से घर में खाना खाना भी छोड़ दिया है। जब तक बाइक नहीं लेकर देंगे मैं खाना नहीं खाऊंगा और आज तो मैं वापस घर ही नहीं जाऊंगा। यह कहकर निकला हूं।
अब बारी थी प्रश्न नंबर 7 की और प्रश्न था – आपको अपने घर में मिल रही पॉकेट मनी का आप क्या करते हैं? आपके भाई बहन अपनी पॉकेट मनी कैसे खर्च करते हैं। तो मोहन में जवाब लिखना शुरू किया हर महीने पापा मुझे ₹100 देते हैं उसमें से मैं मनपसंद परफ्यूम और चश्मा लेता हूं या अपने दोस्तों के साथ छोटी-मोटी पार्टियों में खर्च करता हूं। मेरी दीदी को भी पापा ₹100 देते हैं। वह खुद भी कमाती है और पगार के पैसे से मम्मी को आर्थिक मदद भी करती हैं। हां उसको दिए गए पॉकेट मनी को वह गुल्लक में डालकर बचत करती हैं। उसके किसी प्रकार के कोई शौक नहीं है क्योंकि वह कंजूस भी है।
इसके बाद प्रश्न था आठ – आप अपनी खुद की पारिवारिक जिम्मेदारी को समझते हैं? यह प्रश्न अटपटा और मुश्किल होने के बाद भी मोहन ने जवाब लिखना शुरू किया। परिवार के साथ जुड़े रहना चाहिए। एक दूसरे के प्रति समझदारी से व्यवहार करना चाहिए। एक दूसरे की मदद करनी चाहिए और ऐसे अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए। यह लिखते लिखते ही अंतरात्मा से आवाज ए आर मोहन तुम खुद अपनी पारिवारिक जिम्मेदारी को योग्य रूप से निभा रहे हो क्या और अंतरात्मा से ही जवाब आया नहीं बिल्कुल नहीं।
प्रश्न नंबर 9 – आपके परिणाम से आपके माता-पिता खुश हैं? क्या वह अच्छे परिणाम के लिए आपसे जिद करते हैं? आपको डांटते रहते हैं? इस प्रश्न का जवाब लिखने से पहले मोहन की आंखें भर आई। अब वह परिवार के प्रति अपनी भूमिका बराबर समझ चुका था। उसने लिखने की शुरुआत की वैसे तो मैं कभी भी मेरे माता-पिता को आज तक संतोषजनक परिणाम नहीं दे पाया हूं। लेकिन इसके लिए उन्होंने कभी भी जिद नहीं की। मैंने बहुत बार अच्छे रिजल्ट के प्रॉमिस तोड़े हैं। फिर भी हल्की सी डाँट के बाद वहीं प्रेम बना रहता है।
इसके बाद आखरी प्रश्न था प्रश्न नंबर 10 – पारिवारिक जीवन में असर कारक भूमिका निभाने के लिए इन छुट्टियों में आप कैसे अपने परिवार की मदद करेंगे? जवाब में मोहन की कलम चले इससे पहले उसकी आंखों से आंसू बहने लगे। जवाब लिखने से पहले ही कलम रुक गई। बेंच के नीचे मुंह रखकर रोने लगा फिर से कलम उठाई तब भी वह कुछ ना लिख पाया।
दसवें प्रश्न का जवाब दिए बगैर उसने पेपर सबमिट कर दिया और बाहर आ गया। स्कूल के दरवाजे पर दीदी को देखकर मोहन उसकी ओर दौड़ पड़ा। जैसे ही दीदी के पास पहुंचा दीदी ने कहा – भाई यह ले ₹8000 मम्मी ने कहा है कि बाइक लेकर ही आना। दीदी ने मोहन को पैसे पकड़ा दिए। मोहन ने पूछा – कहां से लाई हो पैसे? तब दीदी ने बताया मैंने मेरे ऑफिस से एक महीने की सैलरी एडवांस मांग ली। मम्मी भी जहां काम करती है वहीं से उधार ले लिया और मेरी पॉकेट मनी की बचत से निकाल लिए। ऐसा करके तुम्हारी बाइक के पैसे की व्यवस्था हो गई है। मोहन की दृष्टि पैसों पर स्थिर हो गई थी।
दीदी फिर बोली – भाई मम्मी को बोलकर निकले थे कि पैसे नहीं दोगे तो मैं घर पर नहीं आऊंगा। अब तुम्हें समझना चाहिए कि तुम्हारी भी घर के प्रति जिम्मेदारी है। मुझे भी बहुत शौक है। लेकिन मै अपने शौक की बजाय अपने परिवार को ज्यादा महत्व देती हूँ। तुम हमारे घर के सबसे लाडले हो इसलिए पापा के पैर में फ्रैक्चर होने के बावजूद भी रोज ऑटो चलाते हैं ताकि तुझे बाइक दिलाने का प्रामिस पूरा कर सके। बाकी तुमने तो अनेकों बार अपने प्रामिस तोड़े ही है न?
मोहन के हाथ में पैसे देकर दीदी घर चली गई। उसी समय मोहन का दोस्त वहाँ अपनी बाइक लेकर आ गया। उसने अच्छे से बाइक को चमका दिया था।
दोस्त ने कहा – ले मोहन आज से यह बाइक तुम्हारी। सब 12000 रुपए में मांग रहे थे मगर यह तुम्हारे लिए ₹8000 में। मोहन बाइक की ओर एक टक देख रहा था और थोड़ी देर बाद बोला – दोस्त तुम अपनी बाइक उसे 12000 वाले को ही दे देना। मेरे पास पैसे की व्यवस्था नहीं हो पाई है और होने की संभावना भी नहीं है। यह कहकर मोहन सीधा भागवत सर की केबिन में जा पहुंचा। भागवत सर ने मोहन की ओर देखा और पूछा – अरे मोहन कैसा लिखा है पेपर में?
तब मोहन बोला सर यह कोई पेपर नहीं था यह तो मेरे जीवन के लिए दिशा निर्देश था। मैंने एक प्रश्न का जवाब छोड़ दिया है किंतु वह जवाब लिखकर नहीं अपने जीवन की जवाबदेही निभा कर दूंगा और इतना कहकर भागवत सर के चरण स्पर्श किए और अपने घर की ओर निकल पड़ा।
घर पहुंचते ही मोहन ने देखा कि मम्मी पापा दीदी सब उसकी राह देख रहे थे। मोहन को देखते ही मम्मी ने पूछा बेटा बाइक कहां है? मोहन ने दीदी के हाथों में पैसे थमा दिए और कहा सॉरी मुझे बाइक नहीं चाहिए और पापा मुझे ऑटो की चाभी दो। आज से मैं पूरी छुट्टियां ऑटो चलाऊंगा और आप थोड़े दिन आराम करेंगे और मम्मी आज मेरी पहली कमाई शुरू होगी। इसलिए तुम अपनी पसंद की सब्जी ले आना। रात को हम सब साथ मिलकर खाना खाएंगे।
मोहन के स्वभाव में आए परिवर्तन को देखकर मम्मी ने उसको गले लगा लिया और कहा बेटा सुबह जो कहकर तुम गए थे। वह बात मैंने तुम्हारे पापा को बताई थी और इसलिए तुम्हारे पापा दुखी हो गए। काम छोड़कर घर वापस आ गए। भले ही मुझे पेट में दर्द होता हो लेकिन आज तो मैं तेरी पसंद की ही सब्जी बनाऊंगी।
तब मोहन ने कहा – नहीं मम्मी अब मैं समझ गया हूं कि मेरे घर परिवार में मेरी भूमिका क्या है? मैं रात को आपकी पसंद की सब्जी ही खाऊंगा। परीक्षा में मैं आखरी जवाब नहीं लिखा वह प्रेक्टिकल करके दिखाना है। और हां मम्मी हम गेहूं को पीसने कहां जाते हैं उस आटा चक्की का नाम और पता भी मुझे दे दो। इसी समय भागवत सर ने घर में प्रवेश किया और बोले वाह मोहन वाह जो जवाब तुमने लिखकर नहीं दिया वह प्रैक्टिकल जीवन में करके दोगे।
मोहन भागवत सर को देखकर आश्चर्य चकित हो गया और बोला – सर आप और यहां? तब भागवत सर बोले मुझे मिलकर तुम चले गए उसके बाद मैंने तुम्हारा पेपर पढ़ा। इसलिए तुम्हारे घर की ओर निकल पड़ा। मैंने बहुत देर से तुम्हारे अंदर आए परिवर्तन को सुना। मेरी अनोखी परीक्षा सफल रही और उस परीक्षा में तुमने पहले नंबर पाया है। ऐसा बोलकर भागवत सर ने मोहन के सर पर हाथ रख दिया और उसे आशीर्वाद दिया। मोहन ने तुरंत ही भागवत सर के पैर छुए और ऑटो रिक्शा चलाने के लिए निकल पड़ा। 

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