top of page

लक्ष्य

डॉ. कृष्णकांत श्रीवास्तव

बहुत मुश्किल से पापा ने आज मुझे आगे की पढ़ाई के लिए शहर भेजने की बात को मान लिया, अम्मा आज मैं बहुत खुश हूं प्यारी अम्मा कहकर मैं गले में लग गई।
कमला भी चाहती थी कि बेटी पढ़ लिखकर अपने पैरो पर खड़ी हो तभी उसका विवाह करेंगे, लेकिन पढ़ाई के लिए शहर भेजने से डर भी लगता था कही कुछ ऊंच नीच न कर दे बिट्टो।
कमला ने अनिला को पास बिठाया अब मेरी बात सुन बिट्टी। तुम हुआ़ पढ़ाई छोड़ घूमा फिरी न करियो, कौनाऊ अगर गलत बात सुनाई दी तो ऑन दिनई तुमका वापस बुलाई लाई समझी। बहुत भरोसा करके पापा तुमको पढ़ने को भेज रहे हैं।
अरे मेरी अम्मा हम पढ़ाई छोड़ कुछ नही घूमा फिरी करिये मुझे पढ़कर अच्छी अफसर बनना है।
घर से दूर जाने का डर भी था, परंतु आगे पढ़ने का मन भी था। इसी सब खयालों से आज मैं सो नहीं सकी। सुबह जब पक्षियों ने बोलना शुरू किया तभी उठकर अम्मा के पास आकर लेट गई।
क्या हुआ बिट्टी सोई नहीं?
तुम्हारे साथ सोई जाई अम्मा कहकर जो सोई तो सूरज चढ़े आंख खुली।
पापा ने कानपुर के गर्ल्स डिग्री कॉलेज में मेरा एडमिशन करवा दिया। पापा खुद एक अच्छे टीचर हैं। उनकी गांव में बड़ी इज्जत है। बहुत मुश्किल से एक गर्ल्स हॉस्टल में मेरे लिए जगह मिल गई। एक कमरे में दो लड़कियों को रहना था। मेरे साथ भी एक लड़की रुचिता थी। देखने में बहुत सुंदर फैशन पसंद। मेरा तो पहनना कस्बे की लड़की जैसा था। मुझे तो पढ़ना था, एस. एस. सी. की परिक्षा पास करनी थी।
रूचिता की दोस्ती कुछ लड़कों से थी। वह उनके साथ घूमती रहती कभी थोड़ी बहुत पढ़ाई कर लेती।
मेरा तो उद्देश्य पढ़ाई और कंप्टीशन की तैयारी था। वह अक्सर अच्छी-अच्छी गिफ्ट लेकर आती। मुझे अब उससे बचकर रहना था। वह मुझे दोस्तों के किस्से उनके साथ की मौज मस्ती सुनाती थी।
मै उसके साथ फूक-फूक के कदम रखकर रह रही थी कोई दूसरा कमरा भी मुझे नही मिल रहा था। मुझे अम्मा की बात भी याद आती थी, एक कमरे में रहते उससे दूरी बनाना चाहती थी परंतु वह भी संभव नहीं हो रहा था।
एक दिन वह अपने जन्म दिन की पार्टी की बात कहकर मुझे अपने साथ चलने को मजबूर करने लगी। उसने दो तीन लड़कियों के नाम बताए कि वह भी आएंगी। हम लोग एक रेस्टोरेंट में चाय पार्टी करेंगे। मेरी दोस्त ने केक बनने को ऑर्डर किया है प्लीज तुम भी चलो।
मैने साथ रहते हुए नही जाना ठीक नही समझा। मैं उसके साथ चली गई उसकी दो लड़कियां दोस्त थी और तीनों के ब्वॉय फ्रेंड थे। मुझे बहुत अजीब लग रहा था। मुझे डर लग रहा था कि कहीं मेरे घर का या पास का कोई मुझे देखेगा और पापा से कहेगा कि मैं यहां मस्ती कर रही हूं तो क्या होगा?
मेरे सिर में बहुत दर्द है, मुझे उलटी आ रही है, मुझे रूम पर जाना है। रेस्टोरेंट से निकल कर एक ऑटो रोका और मैं उनसे बचकर अपने कमरे पर आ गई।
हॉस्टल के नियम सख्त थे। उसके दोस्त कमरे में नही आ सकते थे। वह मुझे साथ चलने को कहती तो मैने उसे साफ कह दिया मेरे पापा अम्मा ने मुझे पढ़ने बहुत विश्वास के साथ भेजा है, कोई घूमने मौज करने नही।
किसी तरह एक साल बीता। अगली साल हमारी तरह की लड़की के रूम में जगह खाली होने पर मैं उसके साथ रहने लगी। अनीता हमारी संस्कृति और सोच की लड़की थी। हम दोनों का उद्देश्य भी एक था।
मेहनत और लगन से हमारा लक्ष्य पूरा हुआ था। आज अम्मा और पापा के आखों में खुशी के आंसू थे।
सार : एकाग्रता, समर्पण और लगन ही वह गुण हैं, जिसको अपना कर हम मनचाही सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

******

21 views0 comments

Recent Posts

See All

Commentaires


bottom of page