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लबों की मुस्कुराहट

सम्पदा ठाकुर


कभी लबों की मुस्कुराहट है
कभी गम की रवानी है
कभी है यह खुशी तो
कभी आंखो का पानी है
कभी है गम की बहती दरीया
कभी मौजों की रवानी है
कभी लगती हकीकत सी
कभी लगती कहानी है
कभी है जानी पहचानी सी
कभी यह दर्द अंजानी है
कभी लगती पहेली सी
कोई गुत्थी सुलझानी है
ज़िन्दगी और कुछ भी नहीं
तेरी मेरी कहानी है।

*****


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