प्रवीण कुमार
फारस का राजा और बादशाह अकबर बहुत अच्छे दोस्त थे। वे दोनों एक दूसरे को पहेलियाँ व चुटकले भेजा करते थे। उन्हें एक दूसरे से उपहार प्राप्त करने में आनंद प्राप्त होता था, जिससे उन्हें अपनी दोस्ती बनाये रखने में मदद मिलती थी। एक दिन बादशाह अकबर को फारस के राजा से एक बड़ा सा पिंजरा और उसमे नकली शेर तथा एक पत्र प्राप्त हुआ। पत्र में लिखा था, “क्या आपके राज्य का कोई बुद्धिमान व्यक्ति बिना पिंजरा खोले शेर को बाहर निकाल सकता है। यदि पिंजरा खाली नहीं हुआ तो मुग़ल साम्राज्य, फारस साम्राज्य की संप्रभुता के आधीन आ जाएगा।”
अकबर ने उत्सुकता भरी नज़रो से एक के बाद एक सारे दरबारियों की ओर देखा और कहा, मैं जानता हूँ कि आप सभी अपने क्षेत्र में बुद्धिमान और विशेषज्ञ हैं। क्या कोई बिना पिंजरा खोले शेर को बाहर ला सकता है?”
उसने फिर अपने दरबारियों की ओर उम्मीद भरी नज़रो से देखा। प्रत्येक दरबारी अपने अपने आसन पर जमा हुआ बैठा था। सारे के सारे हैरान और परेशांन थे, क्योकि यह उनकी समझ से परे था। वे एक दूसरे को देख रहे थे। वे सब निराश थे। उस दिन बीरबल दरबार में अनुपस्थित था। वह कही सरकारी कार्य से व्यस्त था। अकबर ने सोचा कि काश बीरबल इस समय यहाँ होता। उन्होंने बीरबल को बुलाने के लिए दूतो को आदेश दिया।
अगले दिन अक़बर अपने सिंघासन पर आराम से बैठे हुए थे। बाकी असानो पर अधिकृत दरबारी बैठे हुए थे। एक आसन बीरबल के ना आने से खाली था। तभी बीरबल ने दरबार में प्रवेश किया। उसने झुककर बादशाह का अभिवादन किया और कहा, जहाँपनाह! मैं आप की सेवा में उपस्थित हूं। मेरे लिए क्या आदेश है?”
अकबर ने संक्षेप में उसे पूरी बात बताई और फारस के राजा द्वारा भेजा गया पत्र उसके हाथ में रख दिया। बीरबल ने पत्र पढ़ा और पिंजरे की और नज़र डाली। बीरबल ने नौकर को बुलाया और एक लोहे की गरम छड़ लाने को कहा। नौकर ने तुरंत आदेश का पालन किया। बीरबल ने लोहे की गरम छड़ से शेर को छूआ। शेर उस जगह से थोड़ा सा पिघल गया। वह तब तक उसे छूता रहा जब तक पूरा शेर पिघल नहीं गया।
फारस का दूत बीरबल की प्रतिभा से बहुत प्रभावित हुआ। अकबर ने बीरबल से पूछा, “तुमने कैसे जान लिया की यह शेर लाख का बना हुआ है?”
“बीरबल ने उत्तर दिया हुजूर! पत्र के अनुसार यह पिंजरा बिना खोले खाली करना था। लेकिन यह नहीं कहा गया था कि शेर को बरक़रार ऱखना है। मैंने बस यह सोचने की कोशिश की यह लाख का भी बना हो सकता है।”
फारस का दूत दरबारी अपने राज्य वापस चला आया और उसने बीरबल के बुद्धिमानी की एक और कहानी बताई।
*****
Comments