प्रेम नारायन तिवारी
मनोज सिन्हा आफिस जाने के लिए तैयार हो रहे हैं। उनकी पत्नी मधुलिका उनका नास्ता तैयार कर रही हैं। बैठक मे इधर-उधर गणपति पूजा के अवशेष दिख रहे हैं। बाबूजी के कमरे में रखा डी जे देखकर सिन्हा साहब का मन खिन्न हो गया। इसी डी जे के कारण उन्हें बाबूजी को दस दिनों के लिए ओल्ड एज होम में छोड़ने की आवश्यकता पड़ गयी है। आज शाम को आफिस से लौटते समय बाबूजी को घर लाना है।
बाबूजी की उम्र पचहत्तर साल की हो गयी है। बीपी सूगर की बीमारी है। तेज आवाज उन्हें बरदास्त नहीं होती है। पिछले साल की गणपति पूजा मे डी जे बाहर बारामदे में रखा गया था फिर भी उनको दिक्कत हो गयी। डी जे बंद कराने पर सिन्हा साहब के तीनों बच्चे नाराज होकर बैठ गये थे। इसबार उन्होंने डी जे लगाने को मना कर दिए तो तीनों बच्चे और मधुलिका एक खेमे मे होकर विरोध करने लगे। नहीं होगी गणपति पूजा, बिना डी जे, नाच, गान की कैसी पूजा। मजबूर होकर बाबूजी को घर से ले जाकर ओल्ड एज होम में छोडना पड़ा। डी जे को बाबूजी के कमरे में देखकर सिन्हा साहब का बीपी बढ गया।
गणपति बप्पा के चले जाने से घर कितना सूना-सूना लग रहा है, नास्ता कर रहे सिन्हा साहब के पास बैठकर मधुलिका बोली।
इसे सूना-सूना नहीं कहते शान्ति कहते हैं, और यह बप्पा के विसर्जन से नहीं आया है, इस डी जे के कानफोडू आवाज के बंद होने से आया है। रही सूनेपन की बात तो ऐसा बाबूजी के न होने से लग रहा है। दिन में बाबूजी का कमरा ठीक करा देना, आफिस से लौटते समय बाबूजी को साथ लेता आऊंगा।
बाबूजी के सम्बन्ध में एक बात कहनी है, बच्चे कह रहे हैं बाबूजी को वहीं रहने दिया जाय। ओल्ड एज का महीने का खर्च ज्यादा तो नहीं आयेगा?
बच्चों का क्या यह तो मनमानी करने पर आमादा हो गये हैं, तुम अपनी बताओ तुम क्या कहती हो?
मैं क्या कहूँ समझ में नहीं आ रहा, मगर बच्चों को नाराज करना अच्छा भी तो नहीं लगेगा। देवेश और विशेष अब अलग-अलग कमरे की डिमांड कर रहे हैं। रजनी पहले से ही किसी दूसरे को अपना रूम सेयर करने नहीं देती। ले देकर एक यही बाबूजी का कमरा बचा है। दे दिया जायेगा, मजबूरी जो है।
बस अब रहने दो मैं समझ गया तुम क्या कहना चाहती हो, ऐसा कह वह नास्ता वैसे ही छोड़कर चले गये।
आफिस में भी उनके दिमाग में बाबूजी का चेहरा तथा मधुलिका की बातें चक्कर काट रही थी। बच्चों से ज्यादा कष्ट उनको अपनी पत्नी मधुलिका से हो रहा है, जो कि बाबूजी के बारे में सब कुछ जानती है। बाबूजी उन्हें अनाथालय से गोद लेकर आये थे। गोद लेने के लिए उन्हें बारह चौदह साल का होशियार बच्चा चाहिए था। उस दिन की सारी बातों का गवाह वह स्वयं हैं।
यहाँ जो भी बच्चा गोद लेने आता है वह कम उम्र का बच्चा चाहता है ताकि बच्चा जल्द ही उन्हें अपना माँ बाप समझने लगे। आप उसके बिलकुल उलट बारह चौदह साल का बच्चा क्यों? वार्डन ने तब बाबूजी से पूछा था।
देखिए एक दुर्घटना में मैंने अपना इसी उम्र का बच्चा खोया है। उस दुर्घटना में मेरी पत्नी चलने फिरने मे असमर्थ हो गयी हैं। इस उम्र का बच्चा समय-समय पर मेरी पत्नी की देखभाल भी कर सकता है। बच्चे को जो समझाया जाये समझ भी सकता है। उस समय अनाथालय में इस उम्र के पांच बच्चे थे। पूरी बात सुनकर एक बच्चे ने कहा इसको बेटे की नहीं नौकर की जरूरत है। ऐसा कह वह आफिस से बाहर निकल गया, उसके साथ बाकी के तीन भी चले गए थे।
माँ को मैंने वास्तव में अपना मान लिया था। उस समय मैं हाईस्कूल में पढ रहा था। मैं माँ की देखभाल करता माँ मुझे पढाती। माँ बहुत अच्छी अध्यापिका थी, हाई स्कूल और इण्टर की परीक्षा प्रथम श्रेणी मे पास किया, नब्बे प्रतिशत से भी अधिक के मार्क थे। माँ मुझे इन्जीनियर बनाना चाहती थी, उसके सपने पूरा करने के लिए माँ से दूर जाना पड़ा। बाबूजी ने एक माँ की देखभाल के लिए एक नर्स रख लिया। मैं इन्जीनियर बना मगर माँ नहीं देख सकी। ना जाने कैसे बेड से सरककर सिर के बल गिरी और चल बसी थी।
शाम को बंगले पर सबकुछ वैसे ही था जैसा कि सिन्हा साहब देखकर गये थे। डी जे सेट बाबूजी के कमरे मे ही था, अलबत्ता बैठक में इस समय तीनों बच्चे भी बैठे थे। मधुलिका उठकर एक गिलास पानी ले आई।
तुम तीनों यहाँ बैठे क्या कर रहे हो?
हम आपके आने का इंतजार कर रहे थे। सुबह जो बात मां ने कहा है उसपर आपका विचार जानना है हमें।
यदि मैं न कहूँ तो?
हम यहाँ नहीं रहेंगे तीनों बच्चे एक साथ बोल उठे।
हाँ तब सुनों बाबूजी ओल्ड एज होम में रहने को राजी हो गये हैं। अब वह यहाँ नहीं आयेंगे। उन्होंने यह मकान बेच दिया है। एक सप्ताह के अंदर इस मकान को खाली करना है।
क्यों क्यों बेंच दिए हैं, हम कहाँ रहेंगे? मधुलिका चीखती हुई बोल पड़ी।
यही तो व्यवस्था करना है हमें, मगर तुम सब चिंता मत करो मैंने सारी व्यवस्था कर लिया है। एक दो कमरे का फ्लैट किराये पर ले लिया है। कल रविवार है छुट्टी का दिन है हम सामान सिफ्ट कर लेंगे।
ऐसे कैसे हम किराये के फ्लैट मे चले जायेंगे। दो कमरे के फ्लैट मे गुजारा कैसे होगा।
मधुलिका इनको तो नहीं पता मगर तुम तो जानती हो कि फ्लैट बाबूजी के नाम पर है। वह इसे रखें चाहे बेंचें। हमें तो जाना ही होगा। एक कमरे में देवेश दूसरे मे विशेष रह लेगा। तुम अपनी बेटी के साथ हाल में रहना, उसका क्या कल विवाह हो जायेगा अपने घर चली जायेगी। लेने को तो तीन कमरे का फ्लैट किराये का ले लूं मगर महीने का खर्च कैसे चलेगा?
तुम आप कहाँ रहोगे? सभी एक स्वर मे बोल पड़े।
मैंने अपनी व्यवस्था भी बाबूजी के साथ कर लिया है। आखिर एक दिन वहीं तो जाना है। मेरा खाना मत बनाया करना मैं वहीं खाया करूँगा। मैं बाबूजी के पास जा रहा हूँ। उन्होंने मुझे बुलाया है, उन्हें मेरे बिना नींद नहीं आती। इसके पहले कि मेरे बच्चे मुझे विसर्जित कर दें, मैं जीते जी खुद का विसर्जन करता हूँ।
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