गीता गुप्ता
अक्सर मैं पूछती उनसे, अर्पिता जी आपका तलाक क्यों हुआ? हमेशा वो टाल जातीं। मुझे लगता शायद किसी लत का शिकार होगा या बेरोजगार। पर ऐसा कुछ नही था, सरकारी नौकरी थी पति की, अच्छे खानदान में विवाह हुआ था उनका। एक बार उन्होंने कहा "जरूरी नही सरकारी नौकरी और अच्छे खानदान के लड़के में संस्कार अच्छे ही हो।"
उन्होंने बताया, छोटी मोटी कहा सुनी पर अक्सर कहता "सरकारी नौकरी है मेरी, तेरी जैसी दस ले आऊंगा।" ससुराल छोड़कर आते वक्त मैंने उनसे कहा "अब तुम मेरी जैसी दस के साथ ही रहो। मैंने उनसे आज तक तलाक नही लिया है, कौन कोर्ट के चक्कर काटे। और ना ही बच्चे की परवरिश के लिए पैसा लिया।
जिन्दगी के पच्चीस साल गुजर गए। ना पति लेने आया ना वो गईं। बेटे की शादी हो चुकी है। बेटा पिता की शक्ल भी नही जानता, अर्पिता जी ने वापिस मायके आने के पश्चात बी-एड किया था, नौकरी हासिल करके बेटे को पढ़ाया लिखाया, कभी बेटे ने पिता के बारे में माँ से कोई सवाल नही किया, ना ही पिता के पास जाने की इच्छा जाहिर की। पति ने दूसरा विवाह नही किया, ना ही अर्पिता जी ने।
पति ने रिटायर्मेंट के वक्त फोन किया, फोटो वगैरहा भी मांगे पर अर्पिता जी ने कुछ नही भेजा। उन्होंन सब ठुकरा दिया।
कभी-कभी कुछ बातें किसी के दिल को इतना घायल कर देती हैं कि उसके आगे पैसा कोई मायने नही रखता और ना ही रिश्ता। कुछ भी बोलने से पहले सोचना जरूरी है, क्योंकि हर किसी में सहन शक्ति हो, जरूरी नही।
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