आँचल सक्सैना
सच कहते हैं यार, नहीं कर पाएंगे
उनसे आंखें चार, नहीं कर पाएंगे
चेहरा देखे वो केवल, दिल ना देखे
हम इतना श्रृंगार, नहीं कर पाएंगे
मेरे दिल पर, तेरा जितना कब्ज़ा है
बाकी दावेदार, नहीं कर पाएंगे
शहद बनाते हैं जो, रस को पी-पीकर
फूलों से तकरार, नहीं कर पाएंगे
इतना ग़ुस्सा, इतनी उलझन, बेचैनी
ऐसे तो वो प्यार नहीं कर पाएंगे
इस जीवन में जो कुछ करना है, आँचल
हम, सबके अनुसार नहीं कर पाएंगे।
******
Comments