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व्यक्तित्व और प्रकृति

डॉ कृष्ण कांत श्रीवास्तव
कभी-कभी चीजों को स्वाभाविक रूप से होने देना ही बुद्धिमानी कहलाता हैं। इस सुंदर जीवन के लिए ईश्वर का धन्यवाद। इसमें कोई संदेह नहीं कि प्रकृति हमेशा से ही सबको आकर्षित करती रही है। प्रकृति अपनी निरंतरता, अडिगता, अखंडता के कारण ही ताकतवर और सर्वशक्तिमान है। हम सब इसका ही हिस्सा हैं। स्वभाविक तौर पर ये सब मौलिक गुण हमारे अंदर मौजूद हैं। लेकिन भाग दौड़ भरी जिंदगी में हमने कृत्रिमता को ही सब कुछ मान लिया है और अपने आप को विकसित करने की बजाय पतन की ओर धकेलते जा रहे हैं। जिंदगी को बेहतर तरीके से जीने का साधारण सा नुस्खा है कि हर चीज में समझदारी दिखाने से खुद को बचाने का प्रयास करना। प्रकृति ही समझदार है। कभी-कभी चीजों को स्वाभाविक रूप से होने देना ही बुद्धिमानी कहलाता हैं। कृत्रिमता का परिणाम तो हम ही जान चुके हैं।
हमें छोटी-छोटी बातों से ऊपर उठकर अपने अंदर प्राकृतिक गुणों को विकसित करने की आवश्यकता हैं। जीवन में दौड़ने की अपेक्षा सहजता से और झुक कर चलना ज्यादा बेहतर साबित होता हैं। कहावत भी है कि
अकड़ कर चलना तो मुर्दों की पहचान होती है,
झुकता वहीं है जिसमें जान होती हैं।
अतः कोशिश यही होनी चाहिए कि खुद को स्वाभाविकता की ओर बढ़ाते चले। सफलता, कामयाबी, धन दौलत ये सब तो अपने आप मिलने लगते हैं जब हम छोटी-छोटी बातों से ऊपर उठकर अपने अंदर प्राकृतिक गुणों को और ज्यादा विकसित करने लगते हैं। हमें अपने सीमित समय में ही अपने आप को बेहतर बनाना होगा क्योंकि समय को दोबारा हासिल नहीं किया जा सकता। परिवर्तन स्थाई हैं। इस बात को समझना होगा। केवल तभी हम अपने आप को और ज्यादा कुशल बना सकते हैं। स्मार्ट बनने की अपेक्षा स्मार्ट वर्क करने की ज्यादा जरूरत है।
जीवन की इस सुन्दरता को बढ़ाने की कोशिश ही हमारी वास्तविक सफलता होगी। प्रकृति को कुछ देने के बाद ही हासिल करने की संभावना ज्यादा रहती हैं। हम अपने जीवन की खुबसूरती को और भी बेहतर बना सकते हैं। जिस प्रकार प्रकृति की प्रत्येक वस्तु बहुत सुंदर होती है ठीक वैसे ही हमारा जीवन भी बहुत सुंदर होता है।हर इंसान के जीवन की अलग खूबसूरती होती हैं। लेकिन लगातार विपरीत परिस्थितियों के चलते हम इसकी खूबसूरती को भूल बैठे हैं। जीवन की इस सुन्दरता को बढ़ाने की कोशिश ही हमारी वास्तविक सफलता होगी। दौलत कमाना और जीवन को खुशहाल और समृद्ध बनाना दोनों एक दूसरे से भिन्न हैं। जरूरी नहीं कि दौलत कमाने के बाद खुशी मिलें परन्तु खुश रहकर धन कमाना सामान्य की अपेक्षा ज्यादा आसान होता हैं। इंसान जन्म के समय स्वाभाविक रूप से खुश होता है। उसे कोई चिंता, दुःख, निराशा परेशान नहीं करती।
हमें कम से कम अपने शरीर का ध्यान रखने की अनिवार्य रूप से आवश्यकता है। जिंदगी हमसे सिर्फ इतना चाहती है कि हम सब अपने मूल रूप को कभी भी न भूलें। वास्तव में दौलत की चाह में हमारे बुनियादी गुण लगातार कम होते जा रहे हैं। हम सब कुछ भूलें बैठे हैं। हमें कम से कम अपने शरीर का ध्यान रखने की अनिवार्य रूप से आवश्यकता है ताकि हम सुख समृद्धि का उपभोग कर सकें लेकिन हमारी इस चाहत ने हमें बुरी तरह से भटका दिया है। अच्छी बातें अब हमें अजनबी सी प्रतीत होती है। नैतिक मूल्य एक विषय बन कर के रह गए हैं। महत्वकांक्षी लोगों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया जाता। हमें सोचना होगा, समझना होगा कि आखिर कहां जा रहे है हम? कम होती कृतज्ञता का आखिर क्या कारण है? आज़ हमारे पास कामयाबी हासिल करने के लिए लगभग सभी साधन मौजूद हैं लेकिन सफलता चुनिंदा लोगों को ही मिल रही है।
जीवन में कुछ कर गुजरने वाले लोग दूसरों की परवाह नहीं करते। आत्मनिर्भरता महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक हैं‌। हालांकि, हम आत्मनिर्भर है परंतु छोटी सी परेशानी आने पर दूसरों से अपेक्षा करते हैं कि वो लोग आएं और हमारी सहायता करें। आत्मनिर्भर व्यक्ति सामान्य की तुलना में आत्मविश्वास से भरपूर होता है। जीवन में कुछ कर गुजरने वाले लोग दूसरों की परवाह नहीं करते। उनको अपनी प्रशंसा और आलोचना से कोई सरोकार नहीं होता। प्रकृति भी हमसे यही उम्मीद रखती है कि हम आत्मविश्वास से लबरेज जीवंतता से भरपूर जीवन को जीएं। बिगड़ती दिनचर्या और बुरी आदतों के वश में होकर हम खुद के साथ बहुत अन्याय कर रहे हैं। और मज़े की बात ये है कि हमें इस का पता तब चलता है जब बहुत देर हो चुकी होती हैं। हमें इंतजार नहीं करना हमें खुशी-खुशी कार्य करते रहना है। यही आधारभूत आदतों में से एक हैं।
दुनिया के महानतम लोगों ने जीवन की छोटी-छोटी बातों को बड़ा महत्व दिया। निरंतर प्रयास ही सबसे महत्वपूर्ण कदम होता हैं। हम अक्सर छोटी-छोटी बातों को अनदेखा कर देते हैं जबकि इन बातों का हमारे जीवन में बड़ा महत्व होता हैं। दुनिया के महानतम लोगों ने जीवन की छोटी-छोटी बातों को बड़ा महत्व दिया। हम छोटी बातों को कम ध्यान देते है क्योंकि हम बड़ा हासिल करना चाहते हैं। बिना इसके जाने कि बड़ा बनने के लिए छोटी-छोटी चीज़ों का ध्यान रखना अनिवार्य शर्त है। ऐसी परिस्थिति में हमें समझदारी से काम करने की कोशिश करनी होगी और साथ ही किसी भी प्रकार की गलतफहमियां का शिकार होने से बचना होगा। कई बार तो ऐसा लगता है जैसे हमारे बिना दुनिया ही थम जाएगी। इस तरह की जीवनशैली से खुद को दूर रखने की आवश्यकता है।
इस खूबसूरत जीवन के लिए ईश्वर को धन्यवाद देना आवश्यक हैं। विपरीत परिस्थितियों में धैर्य और संतुलन बनाए रखना ही सबसे महत्वपूर्ण है। सुख में धैर्य, साहस और आत्मविश्वास रखना अपेक्षाकृत आसान होता हैं परन्तु दुःख, निराशा और असफलताओं की अवस्था में खुद को प्रेरित करना, उत्साह बनाए रखना बेहद कठिन परंतु आवश्यक हो जाता हैं। अक्सर हम असफल लोगों को देखकर जीते हैं कि उन्होंने भी प्रयास किया था, दिन रात मेहनत करने के बाद भी उनको कामयाबी नहीं मिली इत्यादि। इसकी अपेक्षा हमें सफल लोगों के विषय में ज्यादा से ज्यादा सोचने, समझने और पढ़ने की जरूरत है। जीवन में संतोष रखना जरूरी है लेकिन खुद के विकास को कभी भी कम न होने दें। जिसने सीखना छोड़ दिया उसका जीवन बिना पतवार की नाव जैसा हो जाता है। अपने रिमोट को अपने हाथों में ही रखना हितकारी होगा।
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