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शब्दों का महत्त्व

डॉ. कृष्ण कांत श्रीवास्तव

हमारे जीवन में शब्दों का इतना महत्त्व क्यों है? ये शब्द ही है जो हमें अपने भविष्य को संवारने में सहयोग करते हैं। शब्दों में ही जीवन का सार छिपा हुआ हैं। सौहार्दपूर्ण आचरण और दूसरों के प्रति सम्मान रखने की भावना से ही व्यक्तित्व में आकर्षण आ सकता है। हमारे शब्दों से ही हमारा व्यक्तित्व, आचरण और व्यवहार जुड़े हुए हैं। शब्दों को चालाकियों से मुक्त करने की आवश्यकता है। हम सब इन शब्दों के आधार पर ही कमाते है, और जीवन में सफलता मिलेगी या नहीं यह सब हमारे शब्द, व्यवहार और कार्य करने की शैली पर निर्भर करता है। एक खुशमिजाज और सादगीपूर्ण जीवन बिताने के लिए हमें अपने बोलने और सोचने के तरीकों में सुधार करने की आवश्यकता होगी। ये बोल ही है जो हमें आसमान की ऊंचाइयों तक भी पहुंचा सकते हैं और जमीन पर औंधे मुंह भी गिरा सकते हैं।
अपने जीवन में हर व्यक्ति अच्छा प्रयास करता है लेकिन सही दिशा में किया गया प्रयास हमेशा अच्छा परिणाम देता है। सही दिशा का चिंतन करने के लिए अच्छी समझ और कुशल होना बहुत जरूरी है। एक अच्छी समझ अच्छे शब्दों के निरंतर प्रयोग और व्यवहार की कुशलता से ही विकसित की जा सकती हैं। सफल होने के लिए प्रेरित करने वाले लोगों के साथ ज्यादा से ज्यादा जुड़े और उनकी बातों को, शब्दों को अपने जीवन में प्रयोग करने का प्रयास करें। कई बार हम अपने शब्दों में बदलाव करना चाहते हैं परन्तु नई आदतों को विकसित करने में असफल हो जाते हैं। शब्दों का इस्तेमाल बड़े ही सावधानी से करने की आवश्यकता है। इसीलिए कहा गया है कि सोच समझ कर बोलना ही हितकारी है। हमें अपने आंकलन में इन चीजों को प्राथमिकता देनी होगी। तभी हम अपने आप को बेहतर ढंग से विकसित कर सकते हैं।
हम हमेशा नकारात्मक शब्दों को ज्यादा महत्व देते हैं। ये काम मुझसे नहीं होगा, मेरी तो इतनी बुद्धि ही नहीं है, मैं तो बहुत परेशान हूं, मेरे पास रुपए रुकते ही नहीं है इत्यादि। इन शब्दों को हम बड़े ही कुशलता से प्रयोग करते हैं बिना इनके नुकसान को समझे। जिस प्रकार मंत्रों का उच्चारण निरंतर करते रहने से ही मिलता है ठीक वैसे ही जब हम अपने जीवन में अच्छे और बुरे शब्दों का इस्तेमाल करते हैं तो इनका सीधा असर हमारे व्यक्तित्व पर पड़ता है। अगर हम किसी से अपशब्द कहे तो क्या वो हमें एक भद्र पुरुष समझेगा? नहीं। किसी को अपशब्द बोल कर हम अपनी असभ्यता और अशिक्षित होने का प्रमाण देते हैं। क्या इस विषय में चिंतन करने की आवश्यकता नहीं है? क्या हमें अपने बारे में सोचने और समझने की जरूरत नहीं है। मैं समझता हूं कि इसकी बहुत अधिक आवश्यकता है।
आपसी बातचीत में सदैव अच्छे शब्दों का चयन हमारे व्यक्तित्व और स्वभाव को बेहतर बनाने के लिए बहुत आवश्यक है। अच्छी आदतें को विकसित करना थोड़ा मुश्किल होता है लेकिन परिणामस्वरूप हमें जो पहचान मिलती है वो बेमिसाल होती हैं। बुरी आदतों को अपनाने की आवश्यकता नहीं पड़ती वो तो अच्छी आदतों के अभाव में स्वयं ही हमारे साथ आ जाती हैं। जिस तरह एक-एक ईंट से महल बन जाता है उसी तरह हमारे द्वारा बोले गए एक-एक शब्द से हमारे जीवन में बड़ा बदलाव लाया जा सकता है। जैसे सोने की अशुद्धता को हटाने के लिए उसे एक निश्चित डिग्री तक तपाया जाता है। वैसे ही हमें भी अपने शब्दों, अपने व्यवहार और अपने आचरण की पवित्रता बनाए रखने की आवश्यकता है। इन विशेषताओं को अपनाने में मेहनत तो करनी होगी क्योंकि बड़ा बदलाव लाने में समय और मेहनत दोनों की आवश्यकता होती है।
शब्दों का संबंध प्रगाढ़ प्रेम से है, साथ ही शब्दों की तुलना तीर से भी की गई है। शब्दों को बदलने का मौका नहीं मिलता जीवन में इस बात को समझना बहुत जरूरी है। हमें खुद को प्रेरित करना होगा, स्वयं को ट्रेनिंग देने की आवश्यकता है। सब कुछ संभव है बस बिना घबराएं, बिना रूके कोशिश करनी होगी। कोशिश करना ही हमारे हाथ में है। आमतौर पर हम छोटी सफलता हासिल होने पर संतुष्ट हो जाते हैं और फिर अपने आप को स्थाई रूप दे देते हैं। ये संतुलन बनाना होगा, हमें संतोष रखते हुए भी आगे बढ़ने का लगातार प्रयास करना होगा। पूर्णता हासिल करना हमारा लक्ष्य नहीं होना चाहिए क्योंकि पूर्णता की लालसा में हम छोटे बदलावों से भी हाथ धो बैठते हैं।
शब्दों का इतना प्रगाढ़ महत्व है हमारे जीवन में कि कुछ ग़लत शब्दों के प्रयोग से हमारा प्रगाढ़ मित्र भी तुरंत दुश्मन बन सकता है। दोबारा मित्र बनाने में समय लगता है। परिस्थितियां चाहें कितनी भी अच्छी या बुरी क्यों न हो कोशिश यही करनी चाहिए कि शब्दों का संतुलन बना कर रखा जाए। या फिर मौन रहकर भी अद्भुत परिणाम हासिल किए जा सकते। सफल होने के लिए शब्दों की सटीकता के साथ-साथ खुद को अच्छे विचारों और भावनाओं से भरपूर करते रहना होगा। दुनिया की परवाह किए बगैर स्वयं को बेहतर ढंग से विकसित करने का प्रयास करते रहना होगा। सीखने के लिए कभी भी आलस्य न करें। क्योंकि हमेशा सीखते रहने से हमारे व्यक्तित्व और जीवन में निखार आता रहता है। अच्छी आदतों और बातों को जितना जल्दी हो सके उतना सीख लेना आवश्यक है। अपने व्यवहार में परिवर्तन करके हम वो सब हासिल कर सकते है जिनकी सामान्य व्यक्ति कल्पना करता है।
अपनी क्षमताओं को बेहतर बनाना ही हम सब का प्रयास होना चाहिए। सब एक दूसरे को पीछे धकेलने में लगे हुए हैं। अगर हम दूसरों की सफलताओं पर खुश होना सीख गए तो हमारे सफल होने की आधे से ज्यादा प्रतिशत संभावना बढ़ जाती है। अपनी शब्दावली का नियमित आंकलन एक बेहतर परिणाम दे सकता हैं। हमारे शब्द ही है जिनको लोग वर्षों तक याद रखते हैं। हालांकि, हमारी कोशिश यही होती है कि बेहतर ढंग से खुद को प्रस्तुत करें, अच्छा व्यवहार करें। लेकिन पूरी जानकारी के अभाव में और शब्दों को चालाकियों से प्रयोग करने के कारण हम व्यवहार कुशलता में पिछड़ते जा रहें हैं। पछतावा करने से बेहतर होगा कुछ रचनात्मक कार्य किए जाएं। शब्दों का बेहतर प्रयोग पर ही हमारी सफलता और खुशियां निर्भर करती है।

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