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शराब की पार्टी

नेकराम

सूरज, सुरेश, रमन तीनों दोस्तों ने अलग से समीर को पार्टी करने के लिए कहा था। देख समीर तेरे जन्मदिन पर शराब की बोतले खुलेंगी। जमकर डांस होगा। सूरज के दो फ्लैट हैं, एक फ्लैट खाली पड़ा है, सूरज वही पार्टी की व्यवस्था कर देगा। दोपहर 12:00 बजे पार्टी शुरू करेंगे, शाम तक पार्टी चलेगी। यह बात समीर को दो दिन पहले ही सुरेश ने बता दी थी।
समीर ने घड़ी में देखा तो दोपहर के ग्यारह बज चुके थे। समीर मां के नजदीक आकर कहने लगा, मैं जानता हूं शाम को पापा मेरे लिए केक लेकर आएंगे। हर साल आप मेरा जन्मदिन मनाते आ रहे हो, लेकिन अब मैं बड़ा हो चुका हूं। मेरे दोस्त भी बड़े हो चुके हैं। मां ने समीर को खुश रखने के लिए कहा, तुम अपने दोस्तों को पार्टी देना चाहते हो मैं सब जानती हूं, मैं तुम्हें एक हजार रुपए दे रही हूं, दोस्तों के साथ तुम पार्टी कर सकते हो। समीर का चेहरा उतरा देख मां ने एक हजार रुपए और देते हुए कहा, अब तो ठीक है पूरे दो हजार रुपए तुम्हें मिल चुके हैं।
समीर को याद आया सुरेश ने कहा था पूरे पांच हजार रुपए मांगना अपनी मां से तभी हम खुलकर पार्टी कर सकते हैं।
समीर ने जिद्द करते हुए मां को बताया मुझे पूरे पांच हजार रुपए चाहिए। हम सब दोस्त खुलकर इंजॉय करेंगे। खूब खाना-पीना होगा। तब मां ने चिंता भरे स्वर में कहा समीर बेटा शाम को पापा भी तेरे जन्मदिन पर तेरे लिए तोहफा लाएंगे। समीर ने गुस्से से कहा इसका मतलब तुम अपने बेटे से प्यार नहीं करती हो। तुम मुझे पांच हजार रुपए दे दो यह बात पिताजी को मत बताना।
मां ने पांच हजार रुपए देते हुए समीर से कहा, इन पैसों का गलत इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। मां का चेहरा थोड़ा उतर सा गया था। लेकिन समीर का ध्यान कहीं और ही था। समीर ने घड़ी में देखा तो 12 बजने वाले हैं। समीर ने बाइक निकाली हेलमेट पहना, इतने में सुरेश का कॉल आया। सुरेश ने कहा, हां समीर कहां पर हो? घर से पांच हजार रुपए मिले कि नहीं मिले?
समीर ने सुरेश को बताया मैं पहले ठेके जाऊंगा वहां से शराब की बोतलें खाने-पीने का सामान लेकर तुम्हारे पास अभी 10 मिनट में पहुंचता हूं।
1 घंटे के बाद……
सुरेश ने सूरज से कहा दोपहर का 1:00 बज चुका है। समीर अभी तक नहीं आया। रमन ने कॉल मिलाया, मगर समीर का फोन स्विच ऑफ जा रहा था। सुरेश ने घड़ी में देखा तो दोपहर के 2:00 बज गए। रमन ने सुरेश को कहा शराब की दुकान तो पास में ही है, इतना समय समीर को कैसे लग रहा है। फोन भी स्विच ऑफ जा रहा है। घड़ी देखते-देखते तीनों दोस्तों की शाम हो गई। तीनों आपस में बोले समीर ने हमें धोखा दिया है।
शाम के 6:00 बज चुके थे। समीर के तीनों दोस्त समीर के घर चल पड़े। यह पता लगाने के लिए कि समीर घर पर है कि नहीं। समीर के घर आस-पड़ोसी जमा हो चुके थे। कुछ रिश्तेदार भी आ चुके थे। केक की तैयारी हो चुकी थी। तभी समीर की मां ने सूरज, सुरेश, रमन तीनों दोस्तों को आते देखकर कहा, समीर शायद तुम तीनों के पास गया था, पार्टी के लिए…… अभी तक समीर घर नहीं आया।
रमन ने बताया आंटी जी 12:00 बजे समीर का कॉल आया था। वह कह रहा था रास्ते में हूं। फिर उसके बाद कॉल स्विच ऑफ आने लगा। यह बात सुनकर घर में एकदम सन्नाटा छा गया। फ्लैट में खड़े लोग कुछ और सोचते इससे पहले तभी समीर दरवाजे पर आता नजर आया। सब ने समीर को घेर लिया। समीर के पिता समीर का हाथ पकड़ के केक के पास ले आए। सब लोगों के मुरझाए चेहरे पर मुस्कान लौट आई।
सुरेश ने पूछ लिया समीर तुम घर से 12:00 बजे निकले थे। अब शाम के 6:00 बजे आए हो 6 घंटे से कहां लापता थे। मां ने भी गुस्से से पूछ लिया, मैंने दोपहर को पांच हजार रुपए दिए थे। तुमने उन रूपयों का क्या किया सबको बताओ? तब एक पड़ोसन बोली तुम्हारा बेटा समीर अब बड़ा हो गया है। गलत जगह पैसा खर्च करके आया है। इतनी बड़ी रकम तो हमने भी अपने बच्चों को नहीं दी। समीर बिगड़ चुका है, हमें तो शक है किसी लड़की बाजी में पैसे उड़ा कर आया होगा।
कुछ रिश्तेदार तो मन ही मन आनंदित हुए जा रहे थे आस-पड़ोसी भी यही चाहते थे कि समीर से गलती हो।
तभी दरवाजे से एक अधेड़ आदमी झांकता दिखा, फिर घर के भीतर आ गया। समीर के पास खड़ा होकर बोला भगवान सबको ऐसा बेटा दे।
दोपहर 12:00 बजे सड़क किनारे मेरी आंखों के आगे अंधेरा छा गया। मेरा दिमाग एकदम सुन हो गया। मेरा एक हाथ जेब में था। आते-जाते लोग मुझे देखते फिर चले जाते ना तो मैं बोल पा रहा था ना सुन पा रहा था। लेकिन दिखाई दे रहा था। तभी एक बाइक मेरे पास आकर रुकी। उसने तुरंत पास की दुकान से पानी की बोतल खरीदी और मुझे पानी पिलाते हुए कहा, अंकल जी सड़क किनारे क्यों बैठे हो क्या घरबार नहीं है, चलो मैं तुम्हें तुम्हारे घर छोड़ दूं। तब मैंने कहा घर जाकर क्या करूंगा।
कबाड़ी का काम करता हूं। मेरे पिता जी का आज देहांत हो गया, लेकिन घर में एक फूटी कोड़ी भी नहीं थी। इसलिए जहां मैं कबाड़ी का सामान बेंचता था, वहां से बड़ी मुश्किल से पांच हजार रुपए उधार लिए थे कि पिताजी का अंतिम संस्कार कर दूंगा। लेकिन बस में चढ़ने से पहले ही किसी ने मेरी जेब काट ली। अब वह कबाड़ी वाला भी दोबारा पैसे नहीं देगा। बीवी बच्चे मेरी राह देख रहे होंगे आस-पड़ोसी सब जमा हो चुके हैं। मैं खाली हाथ किस मुंह से जाऊं मैं बिलख बिलख कर रोने लगा।
हम गरीबों के पास दौलत तो नहीं होती, साहब, लेकिन बस एक सम्मान ही होता है।
तब उसने मुझे मोटरसाइकिल पर बिठाया और मुझे मेरे घर ले गया। लोगों का जमावड़ा बढ़ता ही जा रहा था। मेरे घर आते ही मेरा छोटा बेटा दीपू बोला पापा तुमने रुपए लाने में इतनी देर क्यों लगा दी। पड़ोसी तरह-तरह की बातें बना रहे थे। तब उसने पांच हजार रुपए निकाल कर मेरी बीवी कुसुम देवी को देते हुए कहा, अंकल जी को बस नहीं मिल रही थी इसलिए अंकल जी को मैंने बाइक पर बिठा लिया और उनके रुपए रास्ते में गिर ना जाए इसलिए मैंने अपनी जेब में रख लिए थे। यह लो अंकल जी के पांच हजार रुपए तब मेरी बीवी ने कहा इन रूपयों को तुम अपने पास रखो जहां-जहां खर्च होंगे करते चले जाना।
शाम को वह शमशान से हमारे घर आया। मोटरसाइकिल पर बैठा और कहा कुछ दूरी पर हमारा घर है। आज मेरा जन्मदिन है, तुम्हें घर आना है। उसने अपना पता बता दिया तब मैं इस समीर को जन्मदिन की बधाई देने चला आया।
मां की आंखों में आंसू थे। वह सोचने लगी मैंने कहा था समीर इन पैसों का गलत इस्तेमाल नहीं होना चाहिए, आज एक बेटे ने मां की लाज रख ली।
समीर के तीनों दोस्त आज बहुत खुश थे कि हमें समीर जैसा मित्र मिला। रिश्तेदारों के तो गाल फूल चुके थे, समीर का यह पुण्य का काम सुनकर।
समीर के एक दूर के रिश्तेदार ने कहा-अपनी खुशियों से बढ़कर किसी जरूरतमंद की मदद करना ही हमारी संस्कृति हमें सिखाती है।
फ्लैट में खड़े मौजूद सभी लोगों ने एक साथ कहा, समीर जैसा बेटा भगवान सबको दे।
केक कटा और सब में बंटा। समीर ने एक बड़े से डिब्बे में बहुत सा खाना पैक करके उन अंकल जी के हाथ में थमा दिया।
वे अंकल जी जब घर पहुंचे बच्चों से कहा तुम सुबह से भूखे हो लो मैं तुम लोगों के लिए खाना लाया हूं। बच्चों ने जब डिब्बे खोले तो एक डिब्बे में नोट रखे हुए थे। साथ में एक लेटर भी। लेटर में लिखा था मैं समीर का पिता आपको पांच हजार रुपए और दे रहा हूं। इस समय तुम्हें पैसों की जरूरत होगी और आपके पिता की तेरहवीं का पूरा खर्चा भी हम उठाएंगे। मैं आज आपको धन्यवाद दे रहा हूं इसलिए कि आपकी वजह से आज मेरा बेटा एक गुनाह करने से बच गया, वह गुनाह है,शराब की पार्टी।

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