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सगी बहन

दीपक पाराशर

मोहन अपने तीन दोस्तों के साथ रोज की भांति स्कूल से वापिस घर जा रहा था कि तभी अचानक किसी लडकी के चीखने कि आवाज आई, बचाओ ....बच....आ...ओ...
मोहन उसी तरफ दौडा तो देखा चार लडके एक लडकी को घेरे खडे थे।
लडकी के कपडे फटे हुये देख मोहन को समझते देर नही लगी आखिर माजरा कया है?
मोहन जोर से चिल्लाते हुये बोला, “कुत्तों ..... छोडो मेरी बहन को....।”
इतना सुनते ही उसके तीनो दोस्त भी उन लडको की तरफ दौडे। ये देख उन चार बदमाशों में से दो तो तुरंत भाग गये और बचे दो को चारों ने पीटकर अधमरा कर दिया वो भी मौका देख भाग गये।
मोहन ने लडकी को देखा उसके तकरीबन कपडे फटे थे तुरंत अपनी कमीज उसे देकर बोला घबराओ मत बहन तुम्हारे चार भाई तुम्हारे पास है।
फिर स्कूल बैग से पानी की बोतल से उस लडकी को पानी पिलाया और पूछा, “वो कहां रहती है? कौन है....मोहन की बातों को सुनकर मोहन के दोस्त उसकी शक्ल हैरतअंगेज नजरों से देखने लगे...
अभी तो मोहन उसे अपनी बहन कह उन बदमाशों से भिड गया था और अब लडकी से उसका पता वगैरह पूछ रहा है। आखिर ये सब कया है?
अभी तीनों दोस्त यही सोच रहे थे कि लडकी की आवाज ने उनका ध्यान खींचा, लडकी बोली वो पास की बस्ती में रहती है। काम की तलाश में सडक किनारे खडी थी। तभी इन लडकों ने घर में बर्तन मांझने का काम दिलाने की बात बोली और यहाँ ले आये ओर फिर ... कहकर रोने लगी।
मोहन बोला, “चलो बहन, मैं तुम्हें घर छोड़ दूं।”
अभी चारों लडकी सहित वापस बस्ती की ओर चले ही थे कि रास्ते में लडकी की मां मिल गई।
लडकी ने मां को सारी बात बताई।
दोनों मां बेटी ने चारो का भीगी आँखों से दोनों हाथ जोड कर धन्यवाद किया और वापस अपने घर की तरफ चली गई।
उनके जाते ही मोहन के तीनों दोस्त एकसाथ बोले, “मोहन, भाई एक बात समझ नही आई वो तेरी सगी बहन तो थी नही तो इतना रिस्क क्यों लिया?”
मोहन बोला, “मेरी सगी बहन नही तो क्या हुआ किसी की तो बहन होगी, और अगर हम ऐसे ही उसकी आवाज सुनकर चले जाते तो उसके साथ कुछ भी हो सकता था। और दोस्तों सोचो अगर हमारी बहन भी ऐसे ही कही मुसीबत में फंसी हो और हमारी तरह कोई मदद को यही सोचकर आगे नही आए के छोडो हमारी बहन थोड़ी ना है। तो, उसके साथ कुछ गलत होने पर किसे दोषी कहेंगे? फिर हम यही सोचते काश....काश... कोई तो मदद कर देता, तो शायद.....?
दोस्तों हर बहन बेटियों की इज्ज्त करना उनकी रक्षा करना यही सिखाया है मम्मी पापा ने मुझे। मुझे आज खुशी है कि मैं एक बहन को बचा पाया और तुम भी खुशनसीब हो दोस्तों। मुझे गर्व है तुमपर जो एक बहन को बचाने के लिए अपनी जान पर खेलने से तुम भी नही घबराए। आज मुझे अपने दोस्तों पर नाज है। मोहन की बात सुनकर सभी दोस्तों ने उसे कंधे पर उठा लिया।
नही, मोहन भाई, नाज तो हमें तुझपर है कि तेरे जैसी अच्छी सोच रखनेवाला एक अच्छा दोस्त हमारा भाई है। कहकर सभी मोहन के गले लग गये।

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