बहुत समय पहले की बात है, एक गांव में एक किसान रहता था। उसे अपने खेत में काम करने वालों की बड़ी ज़रुरत रहती थी लेकिन ऐसी खतरनाक जगह, जहाँ आये दिन आंधी-तूफ़ान आते रहते हों, कोई काम करने को तैयार नहीं होता था।
किसान ने एक दिन शहर के अखबार में इश्तहार दिया कि उसे खेत में काम करने वाले एक मजदूर की ज़रुरत है। किसान से मिलने कई लोग आये लेकिन जो भी उस जगह के बारे में सुनता, वो काम करने से मना कर देता। अंततः एक सामान्य कद का पतला-दुबला अधेड़ व्यक्ति किसान के पास पहुंचा।
किसान ने उससे पूछा, “क्या तुम इन परिस्थितयों में काम कर सकते हो?”
“हाँ, बस जब हवा चलती है तब मैं सोता हूँ।” व्यक्ति ने उत्तर दिया।
किसान को उसका उत्तर थोडा अजीब लगा लेकिन चूँकि उसे कोई और काम करने वाला नहीं मिल रहा था इसलिए उसने उस व्यक्ति को काम पर रख लिया।
मजदूर मेहनती निकला, वह सुबह से शाम तक खेतों में भ्रमण करता, किसान भी उससे काफी संतुष्ट था। कुछ ही दिन बीते थे कि एक रात अचानक ही जोर-जोर से हवा बहने लगी, किसान अपने अनुभव से समझ गया कि अब तूफ़ान आने वाला है। वह तेजी से उठा, हाथ में लालटेन ली और मजदूर केझोपड़े की तरफ दौड़ा।
“जल्दी उठो, देखते नहीं तूफ़ान आने वाला है, इससे पहले कि सब कुछ तबाह हो जाए कटी फसलों को बाँध कर ढक दो और बाड़ेके गेट को भी रस्सियोंसे कस दो।” किसान चीखा।
मजदूर बड़े आराम से पलटा और बोला, “नहीं जनाब, मैंने आपसे पहले ही कहा था कि जब हवा चलती है तो मैं सोता हूँ।”
यह सुन किसान का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया, जी में आया कि उस मजदूर को गोली मार दे, पर अभी वो आने वाले तूफ़ान से चीजों को बचाने के लिए भागा।
किसान खेत में पहुंचा और उसकी आँखें आश्चर्य से खुली रह गयी, फसल की गांठें अच्छे से बंधी हुई थीं और तिरपाल से ढकी भी थी, उसके गाय-बैल सुरक्षित बंधे हुए थे और मुर्गियां भी अपने दडबों में थीं। बाड़े का दरवाज़ा भी मजबूती से बंधा हुआ था। सभी चीजें बिलकुल व्यवस्थित थी। नुक्सान होने की कोई संभावना नहीं बची थी। किसान अब मजदूर की यह बात कि “जब हवा चलती है तब मैं सोता हूँ।” समझ चुका था, और अब वो भी चैन से सो सकता था।
हमारी ज़िन्दगी में भी कुछ ऐसे तूफ़ान आने तय हैं, ज़रुरत इस बात की है कि हम उसकी पहले से तैयारी रखें ताकि मुसीबत आने पर हम चैन से सो सकें।
सार- यदि विद्यार्थी वर्षभर पढ़ाई करें तो परीक्षा के समय वह आराम से रह सकते हैं।
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