डॉ. कृष्णकांत श्रीवास्तव
एक जाने माने प्रवक्ता ने हाथ में पांच सौ का नोट लहराते हुए अपनी सेमीनार शुरू की। हाल में बैठे सैकड़ों लोगों से उसने पूछा, “ये पांच सौ का नोट कौन लेना चाहता है?” हाथ उठना शुरू हो गए।
फिर उसने कहा, “मैं इस नोट को आपमें से किसी एक को दूंगा पर उससे पहले मुझे ये कर लेने दीजिये।” और उसने नोट को अपनी मुट्ठी में मोड़ना शुरू कर दिया। और फिर उसने पूछा, “कौन है जो अब भी यह नोट लेना चाहता है?” अभी भी लोगों के हाथ उठने शुरू हो गए।
अच्छा” उसने कहा, “अगर मैं ये कर दूं?” और उसने नोट को नीचे गिराकर पैरों से कुचलना शुरू कर दिया। उसने नोट उठाया, वह अब मुड़कर बिल्कुल गन्दा हो गया था।
क्या अभी भी कोई है जो इसे लेना चाहता है?” और एक बार फिर हाथ उठने शुरू हो गए।
सार - नोट कितना भी पुराना या गंदा क्यों ना हो परंतु उसका मूल्य कम नहीं होता। इसी प्रकार यदि आपका व्यक्तित्व साफ है तो आपके साथ चाहे जो हुआ हो या भविष्य में जो हो जाए, आपका मूल्य कम नहीं होता। आप स्पेशल हैं, इस बात को कभी मत भूलिए।
******
Comentarios