अर्जुन रेड्डी
अभी एक महीना पहले की तो बात है। बकुल का विदेशी बाला से विवाह करने का निर्णय सुनने के बाद घर में भूचाल सा आ गया था। बाद में मम्मी जी ने ही कहा था, "देखो बकुल, हमने किसी तरह अपने मन को समझा कर उस फिरंगन से तुम्हारी शादी करवाने का फैसला कर लिया है। तुम्हारी जिद के आगे हम सबने घुटने टेक दिए हैं पर तुमको भी हमारा एक अनुरोध मानना होगा।"
मम्मी की बातों से उनका दुख या मजबूरी साफ़ झलक रही थी। बकुल आहत तो हो रहा था पर हिम्मत करके उनका हाथ थामते हुए बोला, "मैं आपकी वेदना समझ रहा हूँ पर क्या करूँ? वैसे आपको विश्वास दिलाता हूँ कि क्रिस्टीना के हाथों आपको कभी दुख नहीं मिलेगा। और जैसा आप सब चाहते हैं, हमारा विवाह पूर्ण सनातन पद्धति से ही होगा।"
आज उसका विवाह ब्रिटिश बाला क्रिस्टीना के साथ पूरे गाजे बाजे के साथ हो रहा है। पूर्ण भारतीय वेशभूषा में दुल्हन खूब चमक रही थी। सप्तपदी के समय पंडितजी वरवधू के कर्तव्य समझा रहे थे, तभी क्रिस्टीना ने अपनी ननद मीनू के कान में हौले से अंग्रेजी भाषा में कहा, "प्लीज़ इन वचनों को अंग्रेजी में भी ट्रांसलेट करवा दें।"
मीनू हॅंसने लगी पर वो उसका हाथ पकड़ कर मनुहार करने लगी, "प्लीज़ मीनू, अभी हिंदी अच्छी तरह समझ में नहीं आती है। धीरे-धीरे हिंदी में सोचने, समझने लग जाऊॅंगी।"
सभी लोग आश्चर्यचकित थे और खुसुर फुसुर करने लगे थे, वो सिर झुकाए हुए बोली, "जब भारत के बेटे को जीवनसाथी बनाया है, तो भारतीय संस्कृति, भारतीय संस्कारों को भी तो अपनाना होगा।"
सभी हैरानी से सूर्य को पश्चिम में उदय होते देख रहे थे।
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