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सोच से परे

कुसुम

आज अचला, माँ की व्यथा को समझ पाई थी, आज उसे अहसास हुआ कि माँ किस दर्द और वेदना से गुजरी होगी। माँ के लिये उसके दिल मे भरा रोष आज दया मे परिवर्तित हो गया था। बरसों पहले माँ जिन परिस्थितियों से गुजरी थी हालात आज उसे उसी जगह ले आये थे। जिस समाज को ठेंगा दिखा दिया था उसने आज उसी का डर हावी था उस पर।
उसके सामने 25 साल पहले के दृश्य जीवंत हो उठे थे।
माँ उसके सामने गिड़गिड़ा कर उसे समाज की दुहाई दे रही थी। पापा तो जैसे निस्तेज हो कुर्सी पर जड़वत हो गये थे, उनके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे, जैसे सोचने समझने की क्षमता खो बैठे हों। माँ ने उसके पैर पकड़ इज्जत की भीख मांगी थी लेकिन उसने माँ को झटक उन्हें दकियानूसी और पुरानी सोच का बता दिया था।
अचला का जन्म एक ब्राह्मण परिवार मे पंडित दीनानाथ के घर हुआ था। पंडित दीनानाथ समाज मे सम्मानीय व्यक्ति थे। दो भाइयों से छोटी थी वो और सबकी लाडली भी। उसकी शिक्षा-दीक्षा में माँ बाप ने कोई कमी नही छोड़ी थी।
कालेज के दिनों मे अचला को अपने सहपाठी राजीव से प्यार हो गया था। राजीव अलग जाति का था। उन दिनों जाति की जंजीरें बहुत मजबूत हुआ करती थी, जिनको तोड़ पाना नामुमकिन था। किसी ब्राह्मण कन्या का जाति से बाहर विवाह करना वर्जित था।
उनका प्यार परवान चढने लगा। धीरे-धीरे ये बात पूरे गाँव मे आग की तरह फैल गई थी, जल्द ही इस आग की लपटें पंडित दीनानाथ के घर भी पहुँच गयी। बड़ा भाई जो अचला को जान से भी ज्यादा प्यार करता था, उसने अचला पर उस दिन हाथ उठा दिया था। पापा ने सुना तो अपने होश खो बैठे थे। माँ का रो-रो कर बुरा हाल था। बहुत समझाया था माँ ने उसे लेकिन वो नही मानी। उनके प्यार को स्वीकृति न मिलने पर उसने उसी रात घर और समाज का, हमेशा के लिए बहिष्कार कर दिया था।
राजीव से शादी कर उसने अपना नया घर और समाज बसा लिया था। उसको हमेशा माँ-बाप से शिकायत रही, माँ उसकी भावनाओं को नही समझ पाई इसलिए माँ के प्रति उसके मन मे नफरत थी।
कुछ समय बाद उसने एक सुंदर बेटी को जन्म दिया, जिसका नाम उसने राधिका रखा। वो अक्सर सोचा करती, जैसा मेरी माँ ने मेरे साथ किया, मै अपनी बेटी के साथ नही करूँगी। मैं उसकी भावनाओं का हमेशा सम्मान करूँगी। उसकी खुशी को बड़े प्यार से अपनाऊँगी। वो जिस से शादी करना चाहेगी उस से उसकी शादी बड़े धूमधाम से करवाऊंगी।
ग्रेजुएशन के बाद राधिका घर से दूर दूसरे शहर में नौकरी करने लगी थी।
आज राधिका अपने माँ-बाप के सामने खड़ी है। आज अचला रो-रो कर उसकी मिन्नतें कर रही है उसे समाज का वास्ता दे रही है। लेकिन राधिका ने दो टूक जवाब दे दिया था कि वो फिलहाल नीरज से प्यार करती है शादी में उसकी कोई रुचि नही है, वो नीरज के साथ लिव इन रिलेशनशिप में ही रहेगी। उनको मंजूर हो तो ठीक है वरना वो बालिग है ही। वो भी निकल गई थी अचला को रोता हुआ छोड़ कर.....हमेशा के लिए....
क्या-क्या सपने देखे थे उसने राधिका के लिये, लेकिन राधिका ने तो उसकी सोच से परे कदम उठाया।
कदम तो उसने भी उठाया था अपनी माँ की सोच से परे, सपने तो उसकी माँ ने भी देखे थे उसके लिये।

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