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हथौड़ी की कशमकश

कानपुर की तंग गलियों के बीच एक पुरानी ताले की दूकान थी। नागरिक वहां से ताला-चाबी खरीदते और कभी-कभी चाबी खोने पर डुप्लीकेट चाबी बनवाने भी आते। ताला-चाबी वाले की दुकान में एक भारी-भरकम हथौड़ा भी था जो अक्सर ताले तोड़ने के काम आता था।
हथौड़ा अक्सर मन ही मन सोचा करता कि आखिर इन छोटी-छोटी चाबियों में कौन सी ऐसी खूबी है जो इतने मजबूत तालों को भी पलक झपकते ही खोल देती हैं जबकि मुझे इसके लिए इतनी बार प्रहार करने पड़ते हैं?
एक दिन उसके सब्र का बांध टूट गया, और दूकान बंद होने के बाद उसने एक नन्ही चाबी से पूछा, “बहन ये बताओ कि आखिर तुमको ईश्वर ने ऐसी कौन सी शक्ति दी है जो तुम इतने जिद्दी तालों को भी बड़ी आसानी से खोल देती हो, जबकि मैं इतना बड़ा और ताकतवर होते हुए भी ऐसा नहीं कर पाता?”
चाबी धीरे से मुस्कुराई और बोली, दरअसल, तुम तालों को खोलने के लिए बल का प्रयोग करते हो, उनके ऊपर कष्टदाई प्रहार करते हो, और ऐसा करने से ताला खुलता नहीं टूट जाता है। जबकि मैं ताले को तनिक भी चोट नहीं पहुंचाती। बल्कि मैं तो उसके मन में उतर कर उसके हृदय को स्पर्श करती हूँ, और प्यार से उसके दिल में अपनी जगह बनाती हूँ। इसके बाद जैसे ही मैं उससे खुलने का निवेदन करती हूँ, वह बड़ी खुशी के साथ तुरंत खुल जाता है।
मनुष्य जीवन की भी यही सच्चाई है। यदि हम किसी को सचमुच जीतना चाहते हैं, अपना बनाना चाहते हैं तो हमें दिल के रास्ते उस व्यक्ति के हृदय में उतरना होगा। जोर-जबरदस्ती या शक्ति से किसी से कोई काम कराना न तो संभव है और न ही ऐसा करने की कोई सलाह देता है, इस तरह से हम ताले को खोलते नहीं बल्कि उसे तोड़ देते हैं। यानि उस व्यक्ति की उपयोगिता को पूर्णतया नष्ट कर देते हैं, जबकि प्रेम पूर्वक किसी का दिल जीत कर हम सदा के लिए उसे अपना मित्र बना लेते हैं और अपने जीवन में उसकी उपयोगिता को कई गुना बढा लेते हैं।
सार - हर वह चीज जिसे हम प्रेम से प्राप्त कर सकते हैं उसके लिए बल का प्रयोग किया जाना हितकर नहीं होता । जीवन में बल के प्रयोग से बचना चाहिए।

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